
कुछ लोग सुबह उठते ही तरोताजा होकर काम में लग जाते हैं, जबकि कुछ लोगों के लिए बिस्तर छोड़ना सबसे मुश्किल काम होता है। अलार्म की आवाज सुनते ही स्नूज बटन दबाना और फिर दोबारा नींद में चले जाना—ऐसा अक्सर देखा जाता है। ज्यादातर लोग इसे सिर्फ आलस या लापरवाही मानते हैं, लेकिन असल में इसके पीछे कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं छिपी हो सकती हैं।
अगर आपको भी सुबह उठने में रोजाना तकलीफ होती है, तो हो सकता है यह किसी बीमारी का संकेत हो। आइए जानते हैं वो प्रमुख कारण जो सुबह जल्दी उठने की इच्छा को खत्म कर सकते हैं:
- डिप्रेशन (अवसाद)
- डिप्रेशन सिर्फ दुखी होने की भावना नहीं है, बल्कि एक गंभीर मानसिक बीमारी है, जो आपकी नींद, ऊर्जा और सोचने-समझने की क्षमता को प्रभावित करती है। डिप्रेशन में व्यक्ति को बेवजह थकान, नींद की गड़बड़ी, निराशा, और रोने की इच्छा महसूस होती है। ऐसे लोग अक्सर सुबह उठने की इच्छा नहीं रखते क्योंकि मानसिक रूप से वे खुद को थका हुआ और खाली महसूस करते हैं।
- हाइपोथायरॉइडिज्म (थायरॉइड हार्मोन की कमी)
- जब शरीर में थायरॉइड हार्मोन का स्तर कम हो जाता है, तो व्यक्ति को थकान, कमजोरी, और आलस बना रहता है। सुबह बिस्तर से निकलना कठिन लगता है क्योंकि शरीर को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिलती। हाइपोथायरॉइडिज्म एक सामान्य लेकिन अनदेखा किया जाने वाला कारण है जो सुबह जागने की इच्छा को कम करता है।
- नींद से जुड़ी बीमारियां
- अगर आपकी नींद की गुणवत्ता सही नहीं है, तो सुबह जल्दी उठना लगभग नामुमकिन हो जाता है। स्लीप एप्निया जैसे विकारों में रात के समय सांस बार-बार रुकती है जिससे नींद पूरी नहीं हो पाती। वहीं इनसोम्निया में व्यक्ति को या तो नींद आती ही नहीं, या बार-बार टूटती है, जिससे सुबह नींद से उठना बेहद मुश्किल हो जाता है।
- एनीमिया (खून की कमी)
- शरीर में आयरन की कमी से जब हीमोग्लोबिन लेवल कम हो जाता है, तो शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती। इस वजह से व्यक्ति को दिनभर थकान, चक्कर और सांस फूलना जैसी समस्याएं होती हैं। सुबह उठने में असमर्थता भी इसी का एक लक्षण हो सकता है।
अगर आपको भी रोज सुबह उठने में तकलीफ होती है, और यह आदत नहीं बल्कि एक निरंतर समस्या बन चुकी है, तो इसे नजरअंदाज न करें। यह किसी बीमारी का लक्षण हो सकता है। ऐसे में एक योग्य चिकित्सक या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।