कोरोना वायरस : सरकार शवों की अंत्येष्टि के लिए दिशानिर्देश तैयार करने में जुटी

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कोरोना वायरस से संक्रमित 68 वर्षीय एक महिला की दिल्ली में मौत होने के बाद उसकी अंत्येष्टि को लेकर हुए विवाद के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस वायरस का शिकार होने वाले लोगों के शवों की अंत्येष्टि के लिए दिशानिर्देश तैयार करने पर काम शुरू कर दिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि शव की अंत्येष्टि से कोरोनावायरस संक्रमण फैलने की आशंका नहीं है। लेकिन ऐसे में दिशानिर्देश इस गलत धारणा को खत्म करने के लिए और किसी मृतक से रोग के नहीं फैलने के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए तैयार किए जा रहे हैं।

इस बीच, स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के पांच और राजस्थान एवं दिल्ली के एक-एक रोगी सहित जिन सात लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी, उन्हें उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। भारत में कोरोना वायरस से दूसरी मौत शुक्रवार को दर्ज की गई , जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पश्चिम दिल्ली निवासी उस महिला की मौत की पुष्टि की जिसके अपने बेटे के संपर्क में आने से कोराना वायरस से संक्रमित होने की भी पुष्टि हुई थी। उसके बेटे ने हाल ही में विदेश यात्रा की थी। पहली मौत कर्नाटक में दस मार्च को 76 वर्षीय एक व्यक्ति की हुई थी। मंत्रालय के मुताबिक देश में कोरोना वायरस संक्रमण के 84 मामलों की अब तक पुष्टि हुई है,

जिनमें दिल्ली और कर्नाटक में हुई दो मौतें भी शामिल हैं। नयी दिल्ली एम्स के फोरेंसिक मेडिसीन विभाग के प्रमुख सुधीर गुप्ता ने कहा कि कोरोना वायरस के चलते मरने वाले व्यक्ति की किसी भी तरीके से अंत्येष्टि करने का कोई नुकसानदेह प्रभाव नहीं है। ये तरीके इलेक्ट्रिक, गैस से शवदाह करना या दफनाना आदि हो सकते हैं। अधिकारी ने कहा कि कोरेना वायरस संक्रमण एक श्वसन रोग है, जो किसी व्यक्ति के श्वसन तंत्र से छोड़ी जाने वाली नमी की बूंदों से दूसरे व्यक्ति में संचारित होता है और मृतक के शव से मुर्दाघर या अंत्येष्टि कर्मी के संक्रमित होने की संभावना नहीं है। जबकि इबोला और निपाह जैसे अत्यधिक खतरनाक रोगाणुओं के मामलों में मृतक के शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ के सीधे संपर्क में आने से संक्रमण फैलने की बहुत अधिक गुंजाइश होती है।

स्वास्थ्य क्षेत्र में संक्रमण निवारण एवं महामारी नियंत्रण और महामारी का कारण बनने वाले श्वसन संक्रमणों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशानिर्देशों में मानक एहतियातों के अनुरूप व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण के इस्तेमाल की सिफारिश की गई है ताकि शव को पृथक कक्ष या इलाके से दूसरी जगह ले जाने के दौरान शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ के सीधे संपर्क में आने से बचा जा सके। मुर्दाघर देखभाल एवं पोस्टमार्टम जांच के बारे में डब्ल्यूएचओ ने श्वसन संक्रमण वाले शव को शवदाह गृह या कब्रिस्तान तक पहुंचाने के लिए पैकेजिंग एवं परिवहन के बारे में कुछ सिफारिशें की हैं।

इनमें शव को एक थैले में पूरी तरह से सील बंद रखने को कहा गया है ताकि शव से तरल पदार्थ के किसी तरह के रिसाव को टाला जा सके। इनमें कहा गया है, ‘‘शव को थैले में पैक कर शव को मुर्दाघर से सुरक्षित रूप से शवदाहगृह भेजा जाएगा या अंत्यष्टि के लिए ताबूत में रखा जाएगा।’’ डब्ल्यूएचओ ने शवों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए एक बार इस्तेमाल किये जाने वाले पूरी बांह के गाउन का उपयोग करने की सलाह दी है। इसने यह भी सिफारिश की है कि मुर्दाघर कर्मी और अंत्येष्टि टीम व्यक्तिगत सुरक्षा वाले उपयुक्त उपकरणों का इस्तेमाल करें और हाथ को स्वच्छ रखने के लिए एहतियात बरतें। श्वसन संबंधी रोग जो बड़ी बूंदों से संचारित होते हैं उनमें एडेनोवायरस, एवियन इंफ्लूएंजा ए (एच5एन1), ह्यूमन इंफ्लूएंजा और सार्स-सीओवी शामिल हैं।

इसमें कहा गया है, ‘‘इंफ्लूएंजा महामारी के दौरान फैलने वाले मानव विषाणु के मौसमी इंफ्लूएंजा की तरह ही संचारित होने की संभावना है।’’ चिकित्सा अधिकारियों की निगरानी में शनिवार को पश्चिमी दिल्ली की 68 वर्षीय महिला की अंत्येष्टि की गई। राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल और नगर निकायों के चिकित्सकों ने अंत्यष्टि की निगरानी की। दरअसल, शवदाह गृह कर्मियों ने अधिकारियों से संपर्क कर यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की थी कि शव से संक्रमण नहीं फैले। इसके चलते अंत्येष्टि में कुछ घंटों की देर हुई। निगमबोध घाट पर सीएनजी चालित श्मशान घाट में यह अंत्येष्टि की गई। अधिकारियों ने कहा कि अंतिम संस्कार का प्रबंध करने वाली निगमबोध घाट संचालन समिति के सदस्य सुमन गुप्ता ने कहा,

”दुनियाभर में हालात संवेदनशील है। हमें अंतिम संस्कार से पहले एमसीडी और चिकित्सा अधिकारियों के निर्देश चाहिये थे। उन्होंने हमसे कहा कि अधिकारियों की निगरानी में सीएनजी का इस्तेमाल कर अंतिम संस्कार किया जाएगा।” राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती महिला की मौत शुक्रवार को हुई थी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने उनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि की थी भारत में कोरोना वायरस से हुई मौत का यह दूसरा मामला है। अधिकारियों ने बताया था कि महिला की मौत एक से ज्यादा बीमारियों (मधुमेह और उच्च रक्तचाप) की वजह से हुई है। हालांकि, उनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि भी हुई है।

दिल्ली में अब तक सात और उत्तर प्रदेश में 11 मामलों की पुष्टि हुई है। कर्नाटक में छह, महाराष्ट्र में 14 और लद्दाख में तीन जबकि जम्मू कश्मीर में दो मामलों की पुष्टि हुई है। राजस्थान, तेलंगाना, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और पंजाब में एक -एक मामले की पुष्टि हुई है। केरल में 19 मामले दर्ज किये गये हैं। इनमें तीन मामले वे भी शामिल हैं जिनके (कारोना वायरस से पीड़ित रोगियों के) स्वस्थ्य होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे गई। कुल 84 मामलों में 17 विदेशी हैं जिनमें 16 इतालवी पर्यटक और एक कनाडाई शामिल है।