
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में लंबे समय से टलते आ रहे राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव पर अब तस्वीर साफ होती दिख रही है। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के बीच रिश्तों की जमी बर्फ अब पिघल चुकी है और दोनों पक्ष नए अध्यक्ष के चयन को लेकर एक ही मंच पर आ गए हैं। माना जा रहा है कि भाजपा कभी भी नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम का ऐलान कर सकती है।
पिछले कुछ महीनों में भाजपा और संघ के बीच तनाव साफ नजर आ रहा था। नड्डा के उस बयान के बाद, जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा को अब संघ की जरूरत नहीं है, दोनों संगठनों में खटास बढ़ गई थी। 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा को 400 पार का लक्ष्य देने के बावजूद 240 सीटों तक सिमटना भी इसी असहमति का संकेत माना गया। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने सार्वजनिक मंचों पर संघ की सराहना कर संकेत दे दिए हैं कि रिश्ते सामान्य हो चुके हैं।
पार्टी के अंदरखाने से संकेत मिल रहे हैं कि उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद अब भाजपा कभी भी नए अध्यक्ष का नाम घोषित कर सकती है। सूत्रों की मानें तो या तो सितंबर में ही यह घोषणा हो जाएगी या फिर बिहार चुनाव के बाद औपचारिक ऐलान होगा।
अध्यक्ष की रेस में पांच बड़े चेहरे
इस बार अध्यक्ष की दौड़ में भाजपा के पांच बड़े नेताओं के नाम प्रमुखता से सामने आ रहे हैं। इनमें शिवराज सिंह चौहान, नितिन गडकरी, मनोहर लाल खट्टर, धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव शामिल हैं।
1. शिवराज सिंह चौहान
मध्य प्रदेश के चार बार के मुख्यमंत्री रह चुके और फिलहाल केंद्र सरकार में मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भाजपा का सबसे जमीनी नेता माना जाता है। “मामा” के नाम से लोकप्रिय चौहान संघ और संगठन दोनों में गहरी पकड़ रखते हैं।
2. नितिन गडकरी
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का नाम भाजपा के सबसे अनुभवी चेहरों में आता है। नागपुर से ताल्लुक और इंफ्रास्ट्रक्चर पर शानदार काम उन्हें संघ खेमे में मजबूत दावेदार बनाता है।
3. मनोहर लाल खट्टर
पूर्व हरियाणा मुख्यमंत्री और मौजूदा केंद्रीय मंत्री खट्टर संगठन से गहरे जुड़े रहे हैं। उनका प्रशासनिक अनुभव और साफ-सुथरी छवि उन्हें मजबूत उम्मीदवार बनाती है।
4. धर्मेंद्र प्रधान
ओडिशा से आने वाले केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान संगठनात्मक राजनीति के कुशल खिलाड़ी माने जाते हैं। कई राज्यों में पार्टी को मजबूत करने का श्रेय भी उन्हें जाता है।
5. भूपेंद्र यादव
केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव भाजपा के रणनीतिकार और चुनावी मैनेजमेंट के माहिर माने जाते हैं। राजस्थान से आने वाले यादव का नाम भी संघ और पार्टी दोनों खेमों को स्वीकार्य हो सकता है।
भाजपा के लिए संतुलन साधने वाला चेहरा
पार्टी अक्सर ऐसे फैसले लेती है, जो राजनीतिक पंडितों को चौंका देते हैं। इसलिए अंतिम नाम पर रहस्य बरकरार है। इतना तय है कि संघ और भाजपा की सहमति के बाद नया राष्ट्रीय अध्यक्ष ऐसा होगा, जो संगठन और सरकार—दोनों को संतुलित रख सके और 2029 के चुनावी सफर की दिशा तय करे।