
मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान (SIR) के दौरान देशभर में बूथ-स्तरीय अधिकारियों (BLOs) पर बढ़ते कार्यभार और प्रशासनिक दबाव ने व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। केरल, पश्चिम बंगाल और राजस्थान सहित कई राज्यों में BLOs ने अत्यधिक काम, रात-रात भर फोन कॉल, अवास्तविक लक्ष्य और प्रशासनिक दबाव का आरोप लगाया है। कुछ स्थानों पर उन्होंने प्रदर्शन भी किए हैं।
केरल के कन्नूर जिले में BLO अनीश जॉर्ज की आत्महत्या ने पूरे मामले को और गंभीर बना दिया है। परिवार का कहना है कि जॉर्ज लगातार बढ़ते काम के दबाव से मानसिक रूप से टूट गए थे और रातों तक फॉर्म भरने में व्यस्त रहते थे। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, अन्य राज्यों में भी BLOs की असामयिक मृत्यु और स्वास्थ्य समस्याएं सामने आई हैं। पश्चिम बंगाल में आयोग ने 1,000 से अधिक BLOs को “कारण बताओ” नोटिस जारी किए हैं, जिससे विवाद और गहराया है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर BLOs पर “मानवीय सीमाओं से परे” काम करवाने का आरोप लगाया है। कई राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे को उठाते हुए आयोग पर राजनीतिक दबाव में काम करने के आरोप लगाए हैं।
विवाद बढ़ने के बाद निर्वाचन आयोग ने सफाई देते हुए कहा कि BLOs की सुरक्षा और हित सर्वोपरि हैं। केरल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी रथन यू. केलकर ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि किसी ने BLOs को धमकाया या उनके काम में बाधा डाली, तो सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। आयोग का कहना है कि अधिकारियों को पर्याप्त प्रशिक्षण दिया गया है और SIR प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए निगरानी व्यवस्था मजबूत की गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि BLOs की कार्य स्थितियों में जल्द सुधार नहीं किया गया, तो यह विवाद न सिर्फ प्रशासनिक दक्षता पर सवाल उठाएगा, बल्कि आगामी चुनावों की निष्पक्षता और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।












