
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 2 नवंबर को एक और ऐतिहासिक मिशन को अंजाम देने जा रहा है। इस मिशन के तहत कम्युनिकेशन सैटेलाइट सीएमएस-03 को अंतरिक्ष में स्थापित किया जाएगा। यह उपग्रह भारतीय नौसेना की संचार और निगरानी क्षमताओं को नई दिशा देगा और देश की समुद्री सुरक्षा को और मजबूत बनाएगा।
सूत्रों के अनुसार, सीएमएस-03 को भूस्थिर कक्षा (Geostationary Orbit) में स्थापित किया जाएगा। यह उन्नत संचार तकनीक से लैस उपग्रह होगा, जो नौसेना के जहाजों, पनडुब्बियों और तटीय सुरक्षा ठिकानों के बीच तेज, सुरक्षित और भरोसेमंद संचार नेटवर्क उपलब्ध कराएगा। इसके जरिए भारतीय महासागर क्षेत्र में रीयल-टाइम निगरानी और रणनीतिक समन्वय में अभूतपूर्व सुधार होगा।
यह मिशन जीएसएलवी (GSLV) रॉकेट की मदद से श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा। बताया जा रहा है कि यह नया उपग्रह पुराने संचार उपग्रहों की जगह लेकर नौसेना को एक अधिक शक्तिशाली और स्थिर नेटवर्क प्रदान करेगा।
देश की समुद्री सीमाओं पर बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए यह प्रक्षेपण रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम माना जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, सीएमएस-03 न केवल नौसेना की युद्धक क्षमता में वृद्धि करेगा, बल्कि भारत की अंतरिक्ष तकनीक को भी एक नए मुकाम तक पहुंचाएगा।
इसरो की ओर से बताया गया है कि मिशन की सभी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं, और यदि मौसम अनुकूल रहा तो उपग्रह निर्धारित तिथि पर अंतरिक्ष की उड़ान भरेगा। देशभर की निगाहें अब इस मिशन पर टिकी हैं, जो भारत की सुरक्षा व्यवस्था और अंतरिक्ष शक्ति को एक नई ऊंचाई देने की दिशा में अहम कदम साबित होगा।












