
बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की पावन प्रक्रिया विधिवत शुरू हो चुकी है। शुक्रवार को वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी और बदरीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) अमरनाथ नंबूदरी नृसिंह मंदिर से रवाना हुए। दोपहर दो बजे यह शोभायात्रा योग ध्यान बदरी मंदिर, पांडुकेश्वर पहुंची। इस दौरान “जय बदरीविशाल” के उद्घोष और मांगल गीतों से ज्योतिर्मठ नगरी भक्तिमय माहौल में डूब गई।
इस बार बदरीनाथ मंदिर को 40 कुंतल फूलों से भव्य रूप से सजाया गया है। मंदिर के कपाट 4 मई को सुबह 6 बजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। वहीं, गरुड़ भगवान की उत्सव डोली को सात दशक बाद पहली बार बदरीनाथ धाम के लिए रवाना किया गया है। बीकेटीसी की स्वीकृति के बाद गरुड़ भगवान की मूर्ति को उत्सव डोली से प्रस्थान कराया गया। यात्रा संपन्न होने के बाद छह माह तक यह मूर्ति बदरीनाथ के खजाने में विराजमान रहेगी और शीतकाल में इसकी पूजा ज्योतिर्मठ स्थित नृसिंह मंदिर में की जाएगी। आज कुबेर, उद्धव की डोली, गाडू घड़ा (तेल कलश) और आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी भी बदरीनाथ के लिए प्रस्थान करेंगी।
इस बीच श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बदरीनाथ हाईवे पर पुलिस की विशेष बाइक पेट्रोलिंग व्यवस्था शुरू की गई है। छह बाइकों की टीम नियमित रूप से हाईवे पर गश्त करेगी। शुक्रवार को जिलाधिकारी और एसपी ने इन बाइकों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा एक बार फिर आध्यात्मिक आस्था, परंपरा और सुरक्षा के समन्वय की मिसाल बन रही है।