
पहलगाम आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले में अमरनाथ यात्रा के पंजीकरण पर गहरा असर पड़ा है। जहां पहले रोजाना 60-70 लोग पंजीकरण कराने पहुंचते थे, वहीं अब बीते चार दिनों में केवल 13 श्रद्धालु ही आगे आए हैं। 15 अप्रैल से शुरू हुए इस अभियान में अब तक जिले से 441 श्रद्धालुओं ने पंजीकरण करवाया है — जिनमें 145 महिलाएं और 296 पुरुष शामिल हैं। इनमें से 220 ने पहलगाम रूट और 221 ने बालटाल रूट को चुना।
हमले से पहले जहां काउंटर पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही थी, अब वहां सन्नाटा पसरा दिखाई दे रहा है। इसके बावजूद श्रद्धा में कोई कमी नहीं आई। शुक्रवार को पंजीकरण के लिए पहुंचे अरुण शर्मा, नेहा देवी, आदित्य डोगरा और अंजलि शर्मा ने स्पष्ट शब्दों में कहा , “जब बाबा बर्फानी का बुलावा आता है, तो कोई शक्ति रोक नहीं सकती। मन में न डर है, न चिंता।” हमले के बाद क्षणभर के लिए यात्रा रद्द करने का विचार आया जरूर था, पर सरकार की त्वरित कार्रवाई ने एक बार फिर विश्वास जगा दिया।
राजनीति का गरमाया माहौल
पहलगाम हमले के बाद विपक्ष भी सक्रिय हो गया है। जहां शुरू में संयम बरता गया, अब कांग्रेस और सपा जैसे दलों ने सरकार को कठघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया है। कांग्रेस ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से गृहमंत्री अमित शाह से इस्तीफा मांगते हुए तीखा हमला बोला “सुरक्षा में चूक कैसे हुई? इंटेलिजेंस क्यों फेल हुआ? आतंकवादी बॉर्डर के भीतर कैसे घुसे?” कांग्रेस ने सवाल उठाया कि क्या गृहमंत्री या प्रधानमंत्री इस चूक की जिम्मेदारी लेंगे?
बृहस्पतिवार को हुई सर्वदलीय बैठक में गृहमंत्री अमित शाह ने सुरक्षा चूक की बात स्वीकार की थी, जिसके बाद विपक्ष ने और तीखा रुख अपना लिया। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी मैनपुरी में सरकार पर निशाना साधते हुए कहा “देश का बच्चा-बच्चा जान गया है कि ये बहुत बड़ी सुरक्षा चूक है।”
जहां एक ओर सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज है, वहीं दूसरी ओर बाबा बर्फानी के भक्त बिना डरे, बिना रुके, अपनी श्रद्धा और विश्वास के साथ अमरनाथ यात्रा के लिए तैयार हैं। आतंकियों के कायराना हमले के बावजूद आस्था की लौ और मजबूत होती दिख रही है।