इमरान खान से पाकिस्तान तो चलाया जा नहीं रहा, लेकिन कश्मीर पर बोलने में वो उसी तरह से आगे हैं. जिस तरह से पाकिस्तान के पुराने नेता करते रहे हैं। कश्मीर के नाम पर एक बार फिर वही पुराना टेप बजने लगा है, जो पिछले 70 सालों से बज रहा है। ना तो पाकिस्तान नया हुआ और ना ही धीमी अर्थव्यवस्था में रफ्तार आई। उल्टा घुटने के बल चलने को मजबूर हो गया है इमरान खान का मुल्क।
इस वक्त पाकिस्तान घुटनों पर चलने को मजबूर है। पैसे से लेकर हर प्रकार से मोहताज पाकिस्तान से मुल्क के 20 करोड़ लोग तो संभल नहीं रहे हैं, इसके बावजूद वज़ीर-ए-आज़म इमरान खान को यूएन से कश्मीर मसले का हल जरुर चाहिए।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान कह रहे हैं ‘हम ‘IOK’ (भारत का कश्मीर) में मासूम कश्मीरियों की हत्या की कड़ी निंदा करते हैं. समय आ गया है जब भारत को समझना चाहिए कि कश्मीर मसले का हल केवल बातचीत से निकल सकता है जिसमें UN SC का प्रस्ताव और कश्मीरियों की इच्छाओं को भी शामिल करना चाहिए।
प्रधानमंत्री बनने से पहले और प्रधानमंत्री बनने के बाद इमरान खान नए पाकिस्तान के नए रिश्तों की बात कर रहे थे। तब लगा जैसे पाकिस्तान में कुछ बदलेगा लेकिन जो वतन ही नफरत की बुनियाद पर खड़ा है. उससे और उम्मीद भी क्या की जा सकती है।
जब से पाकिस्तान कश्मीर अलाप रहा है. तब से हिंदुस्तान पाकिस्तान को समझा रहा है कि अगर कश्मीर पर बात करनी है तो आमने सामने होगी, किसी तीसरे को इस मसले पर भारत कबूल नहीं करेगा, लेकिन बातचीत भी उसी हाल में होगी जब पाकिस्तान अपनी आतंक की फैक्ट्रियों को बंद करेगा और आतंकियों की सप्लाई को रोकेगा।