डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण: इतनी से उम्र में आ गई ढेरों जिम्मेदारियां, फिर भी नहीं मानी हार

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डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण: इतनी से उम्र में आ गई ढेरों जिम्मेदारियां, फिर भी नहीं मानी हार

देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण की आज जयंती है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण की जयंती को पूरे देश में शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है। डॉ राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 में तमिलनाडु के एक छोटे से गांव तिरुमनी में हुआ था। वे एक ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण ने अपने करियर की शुरुआत 1909 में मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज में एक शिक्षक में रुप में की थी। वे शिक्षा को बहुत महत्तव देते हैं। उनका मानना था कि व्यक्ति शिक्षा से अपनी बुद्धि का बेहतर तरीके से उपयोग कर सकता है। उन्होंने हमेशा देश में भाईचारे-एकता को बढ़ावा दिया।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति के पद पर विराजमान हुए। डॉ. सर्वपल्ली की उपलब्धि, देशप्रेम और देश के लिए समर्पित रहने की भावना के लिए उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पुरस्कार भारत रत्न से नवाजा गया। डॉ. राधाकृष्ण में ज्ञान का भंडार था, वे जहां जाते थे, लोग उनकी बातों से उनके व्यक्तित्व की ओर खींचे चले आते थे।

शिक्षक दिवस की शुरुआत

आज 5 सितंबर 2021 को देश में 59वां शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है। देश में शिक्षक दिवस की शुरुआत 1962 में हुई थी। वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे। आज के दिन देशभर के शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है। स्कूल, कॉलेजों में बच्चे अपने शिक्षक को गिफ्ट देकर उन्हें धन्यवाद बोलते हैं। शिक्षक बच्चों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं, इसलिए बच्चे भी इस दिन अपने अध्यापक का अलग-अलग तरीके से शुक्रिया अदा करते हैं।

आपको बता दें डॉ. सर्वपल्ली की शादी महज 16 साल की उम्र में ही हो गई थी। शादी के पांच साल बाद उन्हें एक  बेटा हुआ था।

इतना ही नहीं स्वतंत्रता मिलने के बाद उन्होंने UNESCO में पहली बार अपने देश का प्रतिनिधत्व किया। डॉ. सर्वपल्ली ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी प्रोफेसर की भूमिका निभाई है। वे 16 साल तक ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे थे।

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