- भारत ने वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित 500 गीगावॉट बिजली की स्थापित क्षमता प्राप्त करने की दिशा में एक और बड़ा कदम बढ़ाया.
- विद्युत मंत्रालय ने वर्ष 2030 तक नियोजित नवीकरणीय क्षमता से बिजली प्राप्त करने के लिए व्यापक योजना तैयार की है. योजना में अतिरिक्त पारेषण प्रणाली और बैटरी ऊर्जा भंडारण क्षमता की स्थापना की परिकल्पना की गई है.
- विद्युत मंत्रालय ने वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित 500 गीगा वॉट बिजली की स्थापित क्षमता के लिए आवश्यक पारेषण प्रणाली की योजना बनाने के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया है.
- समिति “वर्ष 2030 तक 500 गीगा वॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता से अधिक के एकीकरण के लिए पारेषण प्रणाली” शीर्षक से एक विस्तृत योजना तैयार की है.
केंद्रीय विद्युत और नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर. के. सिंह ने “वर्ष 2030 तक 500 गीगा वॉट से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के एकीकरण के लिए पारेषण प्रणाली” योजना की शुरुआत की। ऊर्जा राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री भगवंत खुबा, विद्युत सचिवआलोक कुमार और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा सचिव भूपिंदर सिंह भल्ला, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अध्यक्ष घनश्याम प्रसाद, और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय में संयुक्त सचिव अजय यादव उपस्थित थे।
केंद्रीय ऊर्जा और नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने आज नई दिल्ली में “वर्ष 2030 तक 500 गीगा वॉट से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के एकीकरण के लिए पारेषण प्रणाली” योजना की शुरुआत की।
विद्युत मंत्रालय ने केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अध्यक्ष के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था जिसमें भारतीय सौर ऊर्जा निगम, भारतीय केंद्रीय पारेषण उपयोगिता लिमिटेड, भारतीय पावर ग्रिड कॉरपोरेशन लिमिटेड, राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान और राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान के प्रतिनिधि शामिल थे। वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित 500 गीगा वॉट बिजली की स्थापित क्षमता के लिए आवश्यक संचरण प्रणाली की योजना की आवश्यकता है।
समिति ने राज्यों और अन्य हितधारकों के परामर्श से “वर्ष 2030 तक 500 गीगा वॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के एकीकरण के लिए पारेषण प्रणाली” शीर्षक से एक विस्तृत योजना तैयार की। यह योजना गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित 500 गीगा वॉट बिजली को एकीकृत करने के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है.वर्ष 2030 तक 537 गीगा वॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लिए आवश्यक पारेषण प्रणाली की व्यापक योजना की आवश्यकता है.
Hon'ble Minister of Power and New & Renewable Energy Shri @RajKSinghIndia today launched a plan to develop a transmission system for integration of over 500 GW RE capacity by 2030, a key step towards India's commitment to achieve 50% non-fossil fuel capacity. #EnergyTransition pic.twitter.com/AIaagSx3YU
— Office of R.K. Singh (@OfficeOfRKSingh) December 7, 2022
500 गीगा वॉट गैर-जीवाश्म आधारित बिजली के लिए आवश्यक नियोजित अतिरिक्त पारेषण प्रणाली में 8120 सीकेएम हाई वोल्टेज डायरेक्ट करंट ट्रांसमिशन कॉरिडोर (+800 किलोवॉट और +350 किलोवॉट), 765 किलोवॉट एसी लाइनों के 25,960 सीकेएम, 400 किलोवॉट लाइनों के 15,758 सीकेएम और 2.44 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 220 केवी केबल के 1052 सीकेएम शामिल हैं।
पारेषण योजना में 0.28 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर गुजरात और तमिलनाडु में स्थित 10 गीगा वॉट अपतटीय पवन से बिजली उत्पादन के लिए आवश्यक पारेषण प्रणाली भी शामिल है। नियोजित पारेषण प्रणाली के साथ, वर्तमान में 1.12 लाख मेगावाट से वर्ष 2030 तक अंतर-क्षेत्रीय क्षमता बढ़कर लगभग 1.50 लाख मेगावाट हो जाएगी।
दिन के समय के दौरान सीमित अवधि के लिए नवीकरणीय ऊर्जा आधारित बिजली उत्पादन की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए उपभोक्ताओं के लिए चौबीसों घंटे बिजली प्रदान करने के लिए योजना में वर्ष 2030 तक 51.5 गीगा वॉट की बैटरी ऊर्जा भंडारण क्षमता की स्थापना की भी परिकल्पना की गई है।
इस योजना ने देश में प्रमुख गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित उत्पादन के लिए आगामी केंद्रों की पहचान की है, जिसमें राजस्थान में फतेहगढ़, भादला, बीकानेर, गुजरात में खावड़ा, आंध्र प्रदेश में अनंतपुर, कुरनूल नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र, तमिलनाडु और गुजरात में अपतटीय पवन क्षमता नवीकरणीय ऊर्जा शामिल हैं। लद्दाख आदि में पार्क और इन संभावित उत्पादन केंद्रों के आधार पर पारेषण प्रणाली की योजना बनाई गई है।
अनुमानित नियोजित पारेषण प्रणाली अक्षय ऊर्जा विकासकर्ताओं को संभावित उत्पादन स्थलों और निवेश के अवसरों के पैमाने के बारे में एक अवसर प्रदान करेगी। इसके अलावा, यह पारेषण सेवा प्रदाताओं को लगभग 2.44 लाख करोड़ रुपये के निवेश अवसर के साथ-साथ पारेषण क्षेत्र में उपलब्ध विकास अवसर की परिकल्पना भी प्रदान करेगा।
2030 तक 500 गीगा वॉट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता के लिए उपरोक्त संचरण योजना के साथ, पारदर्शी बोली प्रणाली, एक खुला बाजार, एक त्वरित विवाद समाधान प्रणाली के साथ, भारत अक्षय ऊर्जा में निवेश के लिए सबसे आकर्षक स्थलों में से एक बना रहेगा।
A Major Step Towards Energy Transition!
Hon'ble Minister for Power and New & Renewable Energy, Shri R K Singh launched the “Transmission System for Integration of over 500 GW RE Capacity by 2030" Plan in New Delhi today. @PMOIndia@OfficeOfRKSingh @KPGBJP @PIB_India pic.twitter.com/vdG2RZKEoa
— Ministry of Power (@MinOfPower) December 7, 2022
भारत दुनिया में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमताओं के विकास की सबसे तेज वृद्धि दर के साथ ऊर्जा परिवर्तन में दुनिया के नेतृत्व करने वालों में से एक के रूप में उभरा है। भारत की ऊर्जा परिवर्तन में बड़ी महत्वाकांक्षाएं हैं और वर्ष 2030 तक 500 गीगा वॉट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली क्षमता स्थापित करने की योजना है, ताकि स्वच्छ ईंधन में वर्ष 2030 तक स्थापित क्षमता का 50 प्रतिशत हिस्सा शामिल हो।
देश में वर्तमान में स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 409 गीगा वॉट है जिसमें गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 173 गीगा वॉट क्षमता शामिल है, जो कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता का लगभग 42 प्रतिशत है। वर्ष 2030 तक नियोजित नवीकरणीय क्षमता से बिजली उत्पादन के लिए, एक मजबूत पारेषण प्रणाली को पहले से स्थापित करने की आवश्यकता है क्योंकि पवन और सौर ऊर्जा आधारित उत्पादन परियोजनाओं की निर्माण अवधि संबद्ध पारेषण प्रणाली की तुलना में बहुत कम है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए एक व्यापक योजना को अंतिम रूप दिया गया है।