जब प्रहलाद ने अपने पिता हिरण्यकश्यप की पूजा करने से मना किया था…

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जब प्रहलाद ने अपने पिता हिरण्यकश्यप की पूजा करने से मना किया था…

होली के साथ विभिन्न तरह की कहानियां जुड़ी हुई हैं
जिनमें में से एक प्रहलाद और हिरण्यकश्यप की कहानी भी है।

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक शक्तिशाली राजा था जिसका नाम हिरण्यकश्यप था। राजा खुद को भगवान मानता था और चाहता था कि हर व्यक्ति उसकी पूजा करे। जब एक बार हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद से उसकी पूजा करने को कहा तो प्रहलाद ने अपने पिता के आदेश को पालन करने से इनकार कर दिया और अपने पिता की जगह विष्णु भगवान की पूजा-अर्चना करने लगा।

इस बात से नाराज होकर राजा हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को कई सजाएं दी
लेकिन इनका उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
अपनी सभी योजनाओं को असफल पाते हुए हिरण्यकश्यप ने होलिका दहन की योजना बनाई
जिसमें उसने अपनी बहन के साथ अपने पुत्र प्रहलाद को चिता पर बैठा दिया।

होलिका को वरदान मिला था कि आग उसे किसी भी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचा सकती। इसलिए प्रहलाद को होलिका की गोद में बिठाकर चिता को आग लगा दी लेकिन प्रहलाद की भक्ति की जीत हुई और प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ पर होलिका आग में जल गई।  इसी कारण से होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में पूरे देश में धूम-धाम से मनाया जाता है।