केवल उच्च न्यायालय एल्गार परिषद मामले को एनआईए के पास भेज सकता है: बचाव पक्ष

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एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में बचाव पक्ष के एक वकील ने बृहस्पतिवार को दलील दी कि केवल उच्च न्यायालय ही इस मामले को विशेष एनआईए अदालत के पास भेज सकता है। पुणे की एक सत्र अदालत में इस मामले को स्थानांतरित करने की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की याचिका पर सुनवाई हो रही है। केन्द्र सरकार ने मामले को केन्द्रीय एजेंसी के पास भेज दिया था, जिसके बाद एनआईए ने अदालत का रुख किया। एनआईए के वकील ने बृहस्पतिवार को इस मामले में कागजात, जब्त किया हुआ डाटा और अदालती रिकॉर्ड तथा

सुनवाई मुंबई में विशेष एनआईए अदालत को स्थानांतरित करने की अपील की। हालांकि बचाव पक्ष के एक वकील सिद्धार्थ पाटिल ने दलील दी कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 407 के अनुसार केवल उच्च न्यायालय ही किसी मामले को एक जिले से दूसरे जिले में स्थानांतरित कर सकता है। उन्होंने कहा, ”न केवल (मुख्य) आरोपपत्र, बल्कि पूरक आरोपपत्र भी दायर किया जा चुका है और हम आरोप तय करने के करीब पहुंच गए हैं।” पाटिल ने दलील दी, ”इस अदालत के पास मामले को स्थानांतरित करने की शक्ति नहीं है।

” मामला 31 दिसंबर 2017 को यहां शनिवारवाड़ा में हुई एल्गार परिषद सभा में दिए गए भाषणों और अगले दिन जिले में कोरेगांव भीमा युद्ध स्मारक के निकट हुई हिंसा से संबंधित है। पुणे पुलिस का दावा है कि सभा को माओवादियों का समर्थन हासिल था और इस दौरान दिए गए भाषणों से हिंसा भड़की। इस मामले में वामपंथ की ओर झुकाव रखने वाले कार्यकर्ताओं सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेन्द्र गडलिंग, महेश राउत, शोमा सेन, अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज और वरवर राव को कथित रूप से माओवादियों से संबंध रखने के मामले में गिरफ्तार किया गया था।