ः केंद्र सरकार को एक के बाद एक लगातार सफलता मिलती जा रही हैं बिलों के पास होने का सिलसिला लगातार जारी है इसी कड़ी में बीजेपी को एक बड़ी सफलता मिली है। बीजेपी ने तीन तलाक बिल को पास करवाकर इतिहास रचकर एक और उपलब्धि अपने नाम कर ली है। दिलचस्प बात तो ये है कि विपक्ष सरकार के दोनों बिलों का विरोध कर रहा था लेकिन फिर भी सरकार इन बिलों को पास करवाने में सफल साबित हुई है। तीन तलाक बिल पर राज्यसभा में कुछ मतों के अंतर से पास हो गया, देखा जाए तो फ्लोर टेस्ट में विपक्ष बुरी तरह से बिखर गया। वॉक आउट करना और कई पार्टियों के सदस्यों के राज्यसभा में मौजूद न होना बीजेपी के पक्ष में चला गया और बीजेपी ने तीन तलाक बिल पर भी कानूनी मोहर लगा दी। बिल में बहस के दौरान कांग्रेस ने मांग की थी कि बिल को संसदीय समिति के पास भेजा जाए लेकिन केंद्र सरकार राज्यसभा में इस बिल को99-84 वोट से पास कराने में सफल रही और कांग्रेस को 15 वोटों की कमी के चलते हार का मुंह देखना पड़ा। तीन तलाक बिल पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, ”पूरे देश के लिए आज एक ऐतिहासिक दिन है। आज करोड़ों मुस्लिम माताओं-बहनों की जीत हुई है और उन्हें सम्मान से जीने का हक मिला है। सदियों से तीन तलाक़ की कुप्रथा से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को आज न्याय मिला है। इस ऐतिहासिक मौके पर मैं सभी सांसदों का आभार व्यक्त करता हूँ।” राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी बिल पास होने पर मंगलवार को कहा, ”राज्यसभा में मुस्लिम वीमेन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरेज) बिल के पारित होने से ‘तीन तलाक‘ की अन्यायपूर्ण परंपरा के प्रतिबंध पर संसदीय अनुमोदन की प्रक्रिया पूरी हो गई है। यह महिला-पुरुष समानता के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है; पूरे देश के लिए संतोष का क्षण है।” एनडीए को संख्या बल का अहसास उसी वक्त हो गया था जब एआईएडीएमके और नीतीश कुमार की जेडीयू मतदान से वॉकआउट कर गई। हालांकि जेडीयू इस बिल के विरोध में थी। इन दोनों पार्टियों के राज्यसभा में कुल 19 सांसद हैं और इनके वॉकआउट करते ही विपक्ष की उम्मीदें धराशायी हो गई। बीजू जनता दल के राज्यसभा में सात सांसद हैं और इन्होंने तीन तलाक पर सरकार के पक्ष में मतदान किए। बिल के पास होने पर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ”भारत एक धर्मनिरेपक्ष देश है। 2013 में तीन तलाक़ की एक पीड़िता सुप्रीम कोर्ट गई थी और सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि यह एकतरफा और असंवैधानिक है। जिसे क़ुरान में भी गलत बताया गया है वो हमारे लिए भी अवैध है।” अगर बात करें वर्चस्व की तो ये बिल पुरूषों को ताकत देता है और जब भी किसी को ज्यादा ताकत मिलती है तो वो निरंकुश हो जाता है ऐसे में बराबरी की बात करने वाली सूक्ति को बल मिलता है। इस बिल के पास होने से भले ही वोटों की राजनीति चल रही हो या फिर धर्म की दोनों ही मायनों से देखा जाए तो महिला को अपने जूते की नोक समझने वाली पूरी जमात को सीख देता है ये बिल। अगर आप कोई गुनाह नहीं करते तो आपको किसी से भी डरने की जरूरत नहीं है और अगर आप ऐसा करते हैं तो ये बिल महिलाओं को ताकत देता है।
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