स्पॉटबॉय, थियेटर,सुपस्टार और अधूरा प्यार कुछ ऐसी थी शोमेन की लाइफ

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बॉलीवुड के शो मेन राज कपूर की आज 95वीं पुण्यतिथी है। अपने जीवन में एक से बढ़कर एक फिल्में देने वाले राज कपूर की एक्टिंग की तो दुनिया दिवानी है। 60 के दशक के इस एक्टर की जिंदगी में हिरो बनना इतना आसान नहीं था। 14 दिसंबर 1924 को पाकिस्तान के पेशावर में जन्में राज कपूर का परिवार बटवारें के दौरान भारत आ गया। जिसेक बाद राज कपूर की परवरिश उनकी पढ़ाई सब भारत में हुई। राज कपूर को अभिनय का बहुत शॉक था। उनके करिबियों की मानें तो राज कपूर को भारतीय सिनेमा का शो मेन बनाने में सबसे बड़ा हाथ उनके पिता पृथ्वीराज कपूर का था। अपने पिता के साथ राज कपूर रोजाना थियेटर जाते थे। 1935 में राज कपूर ने बाल कलाकार के रूप में फिल्म इंकलाब में काम किया। इस फिल्म के बाद राज कपूर ने बॉम्बे टॉकिज में एक हेल्पर के तौर पर काम किया।

लेकिन मुख्य नायक के रूप में उनकी पहली फिल्म आई आग इस फिल्म ने मानों बॉक्स ऑफिस पर हिट की आग लगा दी। फिल्म कई मानों में हिट साबित हुई। फिल्म में उनके ओपोजिट वो एक्ट्रेस थी, जिसके लिए आगे जाकर राज साहब का दिल धड़कने लगा और वो एक्ट्रेस थी नरगिस। फिल्म में दोनों की जोड़ी ने मानों आग लगा दी। इसके बाद साथ में दोनों ने कई सुपरहिट फिल्में दी। राज कपूर की सुपरहिट फिल्मों में आग, आवारा, श्री 420, मेरा नाम जोकर, कल आज और कल, बूट पॉलिश और जागते रहो जैसे अन्य फिल्में शामिल हैं। फिल्मों की तरह राज कपूर की लव लाइफ भी काफी चर्चा में थी। राज कपूर और कृष्णा कपूर की शादी के महज 4 महीने बाद राज कपूर की मुलाकात नरगिस से हुई। नरगिस को पहली नजर में देख राज अपना दिल दे बैठे, लेकिन अफसोस दोनों का रिश्ता शादी तक ना पहुंच सका।

जिसकी वजह थी राज कपूर की शादी और चार बच्चे। राज कपूर के साथ 9 साल के रिश्ते के बाद नरगिस समझने लगी कि राज उनसे शादी नहीं करने वाले, ऐसे में नरगिस ने सुनिल दत्त के साथ अपना घर बसा लिया। नरगिस की शादी की खबर सुनने के बाद मानों जैसे राज कपूर की जिंदगी में तुफान ही आ गया हो। वह रोज अपने दोस्तों के पास जाकर फूट-फूटकर रोते थे। क्योंकि राज को लगता था कि नरगिस ने उन्हे धोखा दिया है। इसी सदमें के बाद राज कपूर ने शराब पीना शुरू कर दिया था। जिसके बाद राज कपूर की तबीयत बिगड़ना शुरू हो गई।

लेकिन राज कपूर  अपने बेटों की जिंदगी सवारनें में जरूर लगे रहे। साल 1988  राज कपूर को दादा साहब पाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। उस दौरान राज कपूर की तबीयत इतनी खराब थी कि उस वक्त राष्ट्रपति को स्टेज से उतकर उन्हे सम्मानित करना पड़ा और इसके कुछ ही दिनों बाद यानी 2 जून 1988 को कॉर्डियेक अटैक का वजह से राज कपूर इस दुनिया को अलविदा कह गए।