
उत्तराखंड राज्य गठन के 25 वर्ष पूरे होने के ऐतिहासिक अवसर पर सोमवार को विधानसभा भवन पर परंपरा, संस्कृति और गौरव का अद्भुत संगम नजर आया। सदन का विशेष सत्र इस बार पूरी तरह से उत्तराखंडी रंगों में रंगा हुआ था — जहां जनप्रतिनिधियों से लेकर अतिथियों तक सबकी वेशभूषा में राज्य की लोकसंस्कृति की झलक दिखाई दी। महिलाओं ने पारंपरिक पिछौड़ा और नथ धारण कर उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान को साकार किया, वहीं पुरुष सदस्य पहाड़ी टोपी और अंगवस्त्र में नजर आए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का विशेष संबोधन
राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित इस विशेष सत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उत्तराखंड की उपलब्धियों, चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तृत रूप से अपने विचार रखे। राष्ट्रपति ने कहा कि, बीते 25 वर्षों में उत्तराखंड ने शिक्षा, पर्यटन, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। राज्य की जनता की दृढ़ इच्छाशक्ति, अनुशासन और प्रकृति के प्रति सम्मान ही इसके विकास की असली ताकत है।
श्रेष्ठ उत्तराखंड का संकल्प दोहराया गया
कार्यक्रम में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रपति का स्वागत किया। मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर को उत्तराखंडवासियों के संघर्ष, आत्मसम्मान और उपलब्धियों का प्रतीक बताते हुए कहा, राज्य की रजत जयंती केवल अतीत की स्मृति नहीं, बल्कि भविष्य के लिए प्रेरणा है। हमारा लक्ष्य 2047 तक श्रेष्ठ उत्तराखंड का निर्माण करना है।
सदन में गूंजी परंपरा की धुनें
विशेष सत्र के दौरान विधानसभा परिसर को फूलों से सजाया गया, जबकि प्रवेश द्वार पर पारंपरिक वाद्य यंत्रों की गूंज ने वातावरण को और भी मनमोहक बना दिया। सदन के भीतर पारंपरिक संगीत की धुनें गूंजती रहीं और बाहर राज्य की संस्कृति को दर्शाती प्रदर्शनी ने आगंतुकों का मन मोह लिया।
सोशल मीडिया पर छाया आयोजन
दिनभर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर विधानसभा परिसर की झलकियां और पारंपरिक परिधानों में सजे जनप्रतिनिधियों की तस्वीरें छाई रहीं। लोगों ने इसे “गौरव, परंपरा और प्रगति का उत्सव” करार दिया।











