प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण की तारीफ करते हुए कहा कि उनके संबोधन में देश की तरक्की और सुशासन को रोडमैप पेश किया गया। सोशल मीडिया मंच एक्स पर साझा पोस्ट में प्रधानमंत्री ने लिखा कि राष्ट्रपति के संबोधन में भारत की उन उपलब्धियों का भी जिक्र किया गया, जो भारत ने हासिल की हैं, साथ ही भारत की क्षमताओं का भी जिक्र किया गया। प्रधानमंत्री ने लिखा ‘राष्ट्रपति जी ने संसद के दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित करते हुए तरक्की और सुशासन का रोडमैप पेश किया। इसमें भारत द्वारा की जा रही प्रगति और भविष्य में आने वाली संभावनाओं को शामिल किया गया। उनके संबोधन में कुछ प्रमुख चुनौतियों का भी उल्लेख किया गया, जिन्हें हमें अपने नागरिकों के जीवन में बदलाव लाने के लिए सामूहिक रूप से दूर करना होगा।
केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने कहा कि ‘राष्ट्रपति ने एकजुटता और देश को आगे ले जाने का संदेश दिया ताकि हम देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बना सकें। विशेष मौके पर यह बहुत ही अच्छा और सकारात्मक संदेश था। हमारे लोकतांत्रिक संस्थान मजबूत हैं और हम उन पर गर्व कर सकते हैं। हमारा उनमें पूरा विश्वास है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में लोकसभा चुनाव, आर्थिक विकास, सुरक्षा आदि मुद्दे का जिक्र किया और देश की उपलब्धियों के बारे में बताया। साथ ही उन्होंने देश को विश्वास दिलाया कि आगामी बजट में बड़े आर्थिक फैसले लिए जाएंगे। साथ ही सरकार आने वाले दिनों में कई अहम फैसले लेगी। नए आपराधिक कानूनों पर राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि 1 जुलाई से लागू होने वाले तीन नए आपराधिक कानून दंड नहीं, बल्कि न्याय प्रदान करेंगे। 18वीं लोकसभा के गठन के बाद संसद की पहली संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 न्यायिक प्रक्रिया को गति देंगे। पिछले साल बनाए गए ये कानून क्रमशः ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे। उन्होंने कहा, ‘एक जुलाई से देश में भारतीय न्याय संहिता लागू हो जाएगी। ब्रिटिश शासन के दौरान प्रजा को दंडित करने की मानसिकता थी। दुर्भाग्य से, औपनिवेशिक काल की वही दंड व्यवस्था स्वतंत्रता के बाद भी कई दशकों तक जारी रही।‘ राष्ट्रपति ने कहा कि आपराधिक कानूनों को बदलने के बारे में कई दशकों से चर्चा हो रही थी, लेकिन इस सरकार ने इसे करने का साहस दिखाया है।