उत्तराखंड में चारधाम यात्रा 10 मई से शुरू होने जा रही है. यात्रा के लिए अभी तक 19 लाख से ज्यादा श्रद्धालु रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल लगभग 55 लाख भक्त दर्शन करने पहुंचे थे, जिस वजह से कई व्यवस्थाओं में दिक्कत आई थी. इस साल इसी से सबक लेते हुए उत्तराखंड पुलिस और पर्यटन विभाग ने चारधाम यात्रा में भक्तों के लिए दिन के हिसाब से लिमिट रखी है.
पर्यटन विभाग के मुताबिक, चारधाम यात्रा में केदारनाथ धाम में एक दिन में 15 हजार भक्त बाबा महाकाल के दर्शन कर पाएंगे. जबकि बद्रीनाथ धाम में 16 हजार भक्त, यमुनोत्री में 9 हजार और गंगोत्री में 11 हजार भक्त रोजाना दर्शन कर पाएंगे. इसके अलावा यह संख्या बढ़ने पर त्रषिकेश में भक्तों को रोकने के लिए बैरियर कस्बे भी तैयार किए गए हैं.
लिमिट पूरी होने पर यहां रुकना होगा
पर्यटन विभाग की माने तो यदि कोई बद्रीनाथ जाना चाहता है तो उसे सबसे पहले श्रीनगर में रोका जाएगा. यदि यहां की लिमिट पूरी हो गई है तो भक्तों को रात यहीं बितानी होगी. इसके बाद अगले दिन रुद्रप्रयाग फिर चमोली, पीपलकोटी और जोशीमठ में भी यह प्रोसेस जारी रहेगा. यानी की जब नंबर आएगा, तभी आगे बढ़ सकेंगे.
सरकार के फैसले का लोग कर रहे विरोध
जबकि गंगोत्री-यमुनोत्री जाने वाले भक्तों दिन की लिमिट पूरी होने पर टिहरी, चंबा, उत्तराकाशी में रोका जाएगा. इन कस्बों में एक बार में 20 से 30 हजार लोग रुक सकेंगे. यहां होटल और होम स्टे की सुविधाएं हैं. वहीं, पर्यटन विभाग की ओर से हर दिन के हिसाब से भक्तों के दर्शन की लिमिट सेट करने से होटल और होम स्टे बिजनेस वाले नाराज हैं. इस बीच एसोसिएशन के मुताबिक इससे व्यापार प्रभावित होगा. जबकि उत्तरकाशी होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष के मुताबिक, राज्य की अर्थव्यवस्था पर्यटन और तीर्थाटन पर ही टिकी हुई है. छह महीने के सीजन में भी यदि भक्तों की संख्या सीमित कर दी जाएगी तो इससे उनका व्यापार कम हो सकता है. सरकार ने फैसला वापस नहीं लिया तो होटल और होम स्टे को बंद कर दिया जाएगा.
उत्तराखंड में सड़क मार्ग के जरिए आदि कैलाश और ओम पर्वत की यात्रा भी पहली बार करीब डेढ महीने पहले शुरू हो जाएगी. इस बार आदि कैलाश मंदिर के कपाट 10 मई को खुलेंगे.