लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा का मामला अभी भी ठंडा होता नहीं दिख रहा है। किसान संगठनों के नेता इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना का पूरा लाभ उठाते हुए इसको खत्म करने के बजाय इसे और आगे बढ़ाने के मूड में हैं। किसान संगठनों के नेताओं ने लखीमपुर खीरी मामले में आगे की रणनीति को लेकर कल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा के योगेंद्र यादव ने प्रेस से कहा कि 12 अक्टूबर को देशभर के किसान लखीमपुर खीरी पहुंचेंगे, 18 को रेल रोकेंगे और 26 तारीख़ को लखनऊ में बहुत बड़ी महापंचायत करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा और उनके बेटे आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी की मांग कर रही है। साथ ही अजय मिश्रा को कैबिनेट से हटाने की भी मांग की जा रही है।
जबकि लखीमपुर खीरी का मामला अब खुद सुप्रीम कोर्ट देख रही है, दोषियों को सजा दिलाने और किसानों को न्याय मिले इसका साफ निर्देश कोर्ट द्वारा उत्तर प्रदेश शासन और प्रशासन को दिया जा चुका है। पुलिस छानबीन में जुटी हुई है और आरोपियों की गिरफ्तारी और पूछताछ भी चल रही है। ऐसे में किसान नेताओं का लखीमपुर कांड को मुद्दा बनाकर आंदोलन को और भी अक्रामक बनाने का फैसला किसान नेताओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है।
किसान संगठनों के इस फैसले को देखते हुए लगता है कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना जिसमें 4 किसानों सहित 8 लोगों की मौत हो गई वो इस घटना का अपने हक में फायदा उठाना चाहते हैं। किसानों की मौत के नाम पर सहानुभूति जुटाकर वे धीरे धीरे साख खोते हुए इस आंदोलन को फिर से संजीवनी देना चाहते हैं।
आपको बता दें कि, कल शनिवार को लखीमपुर खीरी का मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा पुलिस के सामने पेश हुआ। लगभग 12 घंटों तक चली पूछताछ के बाद उसे हिरासत में ले लिया गया। जानकारी के मुताबिक आशीष की हत्या, दुर्घटना में मौत, आपराधिक साजिश और लापरवाही से वाहन चलाने की धाराओं में गिरफ्तारी हुई है । आशीष मिश्रा के वकील ने बताया कि वह आज रात जेल में रहेंगे और अगले सोमवार अदालत में पेश किया जाएगा।