उत्तर प्रदेश में अब कोरोना से मरने वालों का फ्री में होगा अंतिम संस्कार

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कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले और लगातार हो रही मौतों को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा फैसला लिया है. अब कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत पर अंतिम संस्कार के लिए कोई शुल्क नहीं लगाया जाएगा. अंतिम संस्कार की प्रक्रिया मृतक के धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप कराई जाएगी. टीम-11 संग हुई समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने इसके लिए आदेश दिए. प्रदेश के कई जिलों से श्मशान घाटों पर लंबी लाइन और अव्यवस्थाओं की तस्वीरें सामने आ रही थीं. इतना ही नहीं कई जगहों पर अंतिम संस्कार के लिए मनमाना पैसा भी वसूला जा रहा था.जिसके बाद मुख्यमंत्री ने अब यह फैसला लिया. मुख्यमंत्री ने इसके लिए जिला प्रशासन को सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित कराने और आदेश को तत्काल प्रभाव से अमल में लाने के निर्देश दिए गए हैं.

इसके अलावा मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के बीच हमारे चिकित्सा वैज्ञानिक दवाओं के नवीन विकल्पों की खोज में भी संलग्न हैं. हाल ही में जायडस कैडिला कम्पनी की एक नई दवा को भारत सरकार के ड्रग कंट्रोलर ने कोविड मरीजों के उपयोगार्थ स्वीकृति दी है. इसे लखनऊ, प्रयागराज और वाराणसी जिलों के लिए उपलब्ध कराया जाए.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हर जरूरतममंद प्रदेशवासी को मास्क, ग्लव्स व सैनिटाइजर उपलब्ध कराए जाने की जरूरत है. कोविड की पिछली लहर में महिला स्वयं सहायता समूहों ने इस दिशा में सराहनीय कार्य किया था. इस बार भी इनका सहयोग प्राप्त करें. यह स्वयं सहायता समूहों के स्वावलम्बन की दृष्टि से भी उपयोगी होगा, और पर्याप्त मास्क की उपलब्धता भी होगी. मास्क न लगाने वालों जिन लोगों का चालान किया जाए, उन्हें मास्क भी जरूर दें. इसके अलावा गरीब असहाय परिवारों को निःशुल्क मास्क उपलब्ध कराया जाए. इस संबंध में कार्यवाही तत्काल प्रारम्भ कर दिया जाए.

बीते तीन से चार दिनों के भीतर प्रदेश के विभिन्न जिलों में साढ़े 14 हजार से अधिक बेड बढ़ाये गए हैं. इससे कोविड मरीजों के इलाज में और सुविधा प्राप्त हुई है. इसे और विस्तार किए जाने की जरूरत है. स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग इस दिशा में नवीन विकल्पों को तलाशें और बेड में बढ़ोतरी सुनिश्चित कराएं. प्रदेश में एक भी मरीज को बेड का अभाव नहीं होगा. सभी जिलों में इस संबंध में आवश्यक इंतजाम किए गए हैं.

अगर सरकारी अस्पताल में बेड रिक्त नहीं हैं तो निजी चिकित्सालय में इलाज की सुविधा मिले. सरकार नियमानुसार उसका भुगतान करेगी, हर दिन की स्थिति के अनुरूप अतिरिक्त व्यवस्था भी कराई जाए. बेड के अभाव में इलाज से वंचित एक भी मरीज की पीड़ा असह्य है. ऐसी घटनाओं पर संबंधित जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी की जवाबदेही तय की जाएगी.

आमजन को बेड की उपलब्धता की समुचित जानकारी उपलब्ध कराई जाए. प्रदेश में ऐसे सभी हॉस्पिटल जहां कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज हो रहा है, वहां दिन में दो बार अस्पताल में रिक्त बेड का विवरण सार्वजनिक किया जाए. यह विवरण जिले के इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के पोर्टल पर भी अपलोड कराया जाए. बेड का आवंटन पूरी पारदर्शिता के साथ किया जाना चाहिए। सभी जिला प्रशासन इस व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से लागू कराएं.

 होम आइसोलेशन में रह रहे कोविड संक्रमित मरीजों को समय से मेडिकल किट हर हाल में उपलब्ध कराई जाए. मेडिकल किट में न्यूनतम 7 दिन की समस्त निर्धारित दवाएं होनी चाहिए और उनसे निरन्तर व नियमित संवाद स्थापित किया जाए. कोविड संक्रमित मरीजों और उनके परिजनों के साथ संवेदनशील व्यवहार किया जाए.

 रेमेडेसीवीर जैसी जीवनरक्षक दवा की आपूर्ति प्रदेश में सुचारु है. हर दिन लगभग 18,000-20,000 वॉयल प्रदेश को प्राप्त हो रही है. उत्तर प्रदेश की जरूरत को देखते हुए भारत सरकार ने प्रदेश के लिए रेमेडेसीवीर इंजेक्शन का आवंटन बढ़ा कर 160,000 कर दिया है. इसके अतिरिक्त विभिन्न निर्माता कम्पनियों से सीधे संवाद स्थापित करते हुए इस जीवनरक्षक मानी जा रही दवा की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए.