जानिए 1958-59 के बजट से जुड़ी 7 बातें

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 बजट से आने से पहले हर वर्ग के लोगों के मन में उम्मीदें जाग जाती है। हर साल के तरह इस साल भी बजट पेश किया जाना है। पर इस साल का बजट वितत् मंत्री के बजाए केंद्रीय मंत्री व तत्कालीन कार्यरत वित्त मंत्री के तौर पर पीयूश गोयल पेश करने वाले हैं।

जानिए 1958-59 के बजट के बारे में

वर्ष 1958-59 का वित्तीय बजट तत्कालीन प्रधानमंत्री व वित्तमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने पेश किया था। उनके द्वारा पेश किये गए बजट में 32.85 करोड़ रूपये का वित्तीय घाटा दिखाया गया था। उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री ने जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि कि टैक्स स्ट्रक्चर में कुछ बदलाव किए गए हैं पर पिछले साल जो भी महत्वपूर्ण कदम उठाया गया था वह आगे भी जारी रहेगा।

1 देश की आर्थिक स्तिथि में काफी सुधार देखा गया, वस्तुओं की कीमतों में काफी कमी आयी है। वित्तीय बाज़ार के लिए एक माकूल स्थिति बनी रही।
2 देश के कई हिस्सों में सूखे के बावजूद भी कृषि उत्पादन में बढ़ोत्तरी हुई है।
3 भुगतान में संतुलन की स्तिथि तनावपूर्ण रही।

4 देश के बंदरगाहों, ट्रोम्बे थर्मल स्टेशन, DVC, द हाइड्रोइलैक्ट्रिक प्रोजेक्ट आदि सहायता के लिए सरकार ने वर्ल्ड बैंक से रिपोर्ट मांगी है।
5 कई सेक्टरों में सहायता के लिए यूएस, यूएसएसआर, यूके, फ्रांस, वेस्ट जर्मनी, कनाडा और जापान ने हमें सॉफ्ट लोन भी ऑफर किया।
6 भारत ने कोलंबो प्रोजेक्ट के जरिए अपने पड़ोसी देशों की सहायता की।
7 मोटर सेक्टर कपड़ा सेक्टर में रिवैन्यू में कमी होने के वजह से सरकार की आय में कमी आयी है जबकि रक्षा और नागरिकों पर खर्चा बढ़ा।