SHO गाजियाबाद के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी

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दिल्ली हाईकोर्ट ने 31 साल पुराने हाशिमपुरा नरसंहार मामले में दोषी ठहराए गए सभी 16 पीएसी जवानों के आत्मसमर्पण न किए जाने पर नाराजगी जताते हुए गाजियाबाद एसचओ के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया है। एसओ गाजियाबाद ने अब तक जवानों की सरेंडर रिपोर्ट दाखिल नहीं कर पाए हैं कि क्यों सभी पीएसी जवानों ने सरेंडर नहीं किया। इसके साथ ही अदालत ने एसएसपी गाजियाबाद को भी 5 दिसंबर के दिन तीस हजारी कोर्ट में पेश होने को कहा है।

कोर्ट ने सभी दोषियों को 22 नवंबर को आत्मसमर्पण के लिए कहा था लेकिन यूपी पीएसी के 4 जवानों ने ही दिल्ली के तीस हज़ारी कोर्ट में सरेंडर किया था। कोर्ट ने बाकी बचे 12 आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। दोषियों ने जज स्मिता गर्ग के कोर्ट में सरेंडर किया। सोलह में से चार जवान निरंजन लाल , महेश , समीउल्लला, जैयपाल ने सरेंडर किया है। दिल्ली पुलिस ने चारों आरोपियों को हिरासत में लेकर इन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाशिमपुरा नरसंहार पर सभी सोलह जवानों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जिसमें से एक की मृत्यु हो चुकी है बाकी पंद्रह में चार ने सरेंडर कर दिया है।SHO गाजियाबाद के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारीबता दें कि मेरठ के हाशिमपुरा नरसंहार पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने 31 साल बाद 31 अक्तूबर को बड़ा फैसला सुनाया था। सभी 16 आरोपी पीएसी जवानों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। 1987 के इस मामले में आरोपी पीएसी के 16 जवानों को 42 लोगों की हत्या और अन्य अपराधों के आरोपों से बरी करने के तीन साल पुराने निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी।

उत्तर प्रदेश राज्य, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और नरसंहार में बचे जुल्फिकार नासिर सहित कुछ निजी पक्षों की अपीलों पर दिल्ली हाईकोर्ट ने छह सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
तत्कालीन गृह राज्यमंत्री पी चिदंबरम की कथित भूमिका का पता लगाने के लिए आगे जांच की मांग को लेकर भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर भी फैसला सुरक्षित रखा। 21 मार्च 2015 को तीस हजारी कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए आरोपियों को बरी कर दिया था।