
केदारनाथ यात्रा मार्ग पर भावनाओं और आस्था की अनोखी मिसाल ने सभी का दिल छू लिया है। मुनकटिया गांव की सात वर्षीय मासूम मिष्टी ने अपने बीमार दादा के लिए भोलेनाथ को पोस्टकार्ड लिखा, और उस पत्र ने न सिर्फ एक बीमार बुजुर्ग की उम्मीदों को संजीवनी दी, बल्कि भारतीय डाक विभाग की संवेदनशीलता और समर्पण को भी उजागर किया।
मिष्टी के दादा गंभीर रूप से बीमार थे। डॉक्टरों ने परिवार को जब अंतिम उम्मीद भी छोड़ने को कहा, तब यह छोटी बच्ची घर में रखे एक पोस्टकार्ड पर भोलेनाथ के नाम एक मार्मिक पत्र लिखती है — भगवान, डॉक्टरों ने हार मान ली है, अब दादू को आप ही ठीक करो…। यह पत्र वह अपने गांव की डाक पेटी में डाल देती है।
भावुक हुआ डाकिया, पैदल पहुंचा केदारनाथ
अगले दिन यह पत्र गौरीकुंड डाकघर पहुंचा, जहां पोस्टमास्टर और पोस्टमैन गणेश गोस्वामी ने उसे छांटते समय पढ़ा। भोलेनाथ के नाम लिखा यह पत्र पढ़कर वह भावुक हो उठे।
बिना समय गंवाए गणेश गोस्वामी ने मिष्टी की आस्था को प्राथमिकता देते हुए 16 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर केदारनाथ धाम पहुंचे। वहां उन्होंने मंदिर परिसर में भगवान केदारनाथ के सेवक नंदी महाराज के चरणों में वह पत्र अर्पित किया और बच्ची के दादा के स्वस्थ होने की प्रार्थना की।
भोलेनाथ से आया जवाब – तुम्हारे दादू ठीक हो जाएंगे
कुछ दिन बाद मिष्टी को एक पत्र मिला भेजने वाले थे भोलेनाथ जी। उसमें लिखा था, तुम्हारे दादू जल्द ठीक हो जाएंगे। तुम अपना भी ध्यान रखना। कुछ सप्ताह बाद दादाजी की तबीयत सच में बेहतर हो गई। अब मिष्टी उनके साथ घर के आंगन में खेलती नजर आती है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई लघु फिल्म
इस सच्ची घटना पर आधारित लघु डॉक्यूमेंट्री फिल्म भारतीय डाक विभाग द्वारा सितंबर 2024 में बनाई गई थी, जो अब सोशल मीडिया पर खूब सराही जा रही है। पोस्टमास्टर गणेश गोस्वामी बताते हैं कि इसका उद्देश्य डाक विभाग की संवेदनशीलता, सेवा भाव और जनविश्वास को श्रद्धा से जोड़ना था। उन्होंने कहा कि, डाक विभाग सिर्फ पत्र नहीं पहुंचाता, वह भावनाएं और उम्मीदें भी पहुंचाता है।
मिष्टी की मासूम प्रार्थना, गणेश गोस्वामी का समर्पण और भोलेनाथ की कृपा तीनों ने मिलकर एक ऐसे जीवंत उदाहरण को जन्म दिया, जो न केवल भारतीय डाक विभाग के मानवीय पक्ष को दिखाता है, बल्कि यह भी बताता है कि आस्था के साथ भेजा गया एक पत्र कभी खाली नहीं लौटता।