हिंदू कैलेंडर विक्रम संवत के मुताबिक, 13 अप्रैल से नए साल की शुरुआत होती है और कल से भारत वर्ष 2078 में प्रवेश कर गया है. यानी हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, भारत 2021 में नहीं, बल्कि 57 वर्ष आगे साल 2078 में पहुंच गया है. आप भले इस नववर्ष को भूल गए हों, लेकिन प्रकृति हर साल इस नए साल को सेलिब्रेट करती है.
Gregorian Calendar के अनुसार एक जनवरी को ही नया साल मानाया जाता है. लेकिन हिंदू कैलेंडर के अनुसार नया साल 1 जनवरी को नहीं, बल्कि 13 अप्रैल से शुरू हुआ है.अभी पूरी दुनिया 31 दिसंबर की शाम से ही नए साल के जश्न में डूब जाती है और जैसे ही रात के 12 बजते हैं तो दुनिया नए साल में प्रवेश कर जाती है और इस नए साल पर खूब पार्टियां होती हैं, लोग छुट्टियों पर घूमने जाते हैं और रात के अंधेरे में आतिशबाजी करके नए साल का स्वागत किया जाता है, लेकिन हिन्दू परम्परा में ऐसा बिल्कुल नहीं होता.
हमारा यह नया साल रात के अंधेरे में नहीं आता. हम नव वर्ष पर सूर्य की पहली किरण का स्वागत करते हैं, जबकि पश्चिमी देशों के कैलेंडर के हिसाब से रात के अंधेरे में नए साल का वेलकम किया जाता है. इन दोनों कैलेंडर में ये बुनियादी फर्क है.
भारत के बहुत से लोग भले इस नववर्ष को भूल गए हैं, लेकिन वर्ष 1582 से पहले यही कैलेंडर हमारा अस्तित्व था.1582 में जब रोम में Gregorian Calendar को अपनाया गया तो ये संस्कृति धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगी. कई पश्चिमी देशों ने इस कैलेंडर के मुताबिक, एक जनवरी को नया साल माना. हालांकि तब भी भारत के लोग हिन्दू कैलेंडर विक्रम संवत को ही मानते थे. यहां एक दिलचस्प जानकारी ये है कि आज जब आप एक अप्रैल को अप्रैल फूल मनाते हैं, तो इसके पीछे की कहानी भी इस कैलेंडर से जुड़ी हुई है.
ऐसा माना जाता है कि पश्चिमी देश उन देशों को अप्रैल फूल कहते थे जो Gregorian Calendar नहीं मानते थे और इनमें भारत भी था और इसी के बाद भारत में धीरे-धीरे लोगों ने इस कैलेंडर को मानना शुरू कर दिया, लेकिन इस कैलेंडर का वजूद न तो मौसम से है, न प्रकृति से है और न त्योहारों से है, जबकि हिन्दू कैलेंडर में ऐसा नहीं है.
हम दुनिया में सबसे पुरानी संस्कृति के लोग हैं और हिंदू कैलेंडर विक्रम संवत की शुरुआत इसी चैत्र प्रतिपदा से होती है. ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि बनी थी और इसी दिन भारतवर्ष में काल गणना भी शुरू हुई थी.
हिंदू कैलेंडर और Gregorian Calendar में कुछ फर्क
-Gregorian Calendar की शुरुआत ईसा मसीह के जन्म से मानी जाती है. जब कि हिन्दू कैलेंडर विक्रम संवत की शुरुआत 57 BC से मानी जाती है, जब महाराजा विक्रमादित्य ने शकाज को युद्ध में पराजित किया था. हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, भारत वर्ष 2078 में प्रवेश कर गया है.
-भारतीय कैलेंडर की गणना सूर्य और चंद्रमा के अनुसार होती है. जबकि Gregorian Calendar पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा के अनुसार चलता है. पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर 365.25 दिन में लगाती है. इसीलिए साल में 365 दिन होते हैं और हर चार साल में एक लीप ईयर होता है.
-Gregorian Calendar सिर्फ एक तारीख़ तक सीमित है. हमें ये कैलेंडर से पता चलता है कि नया साल आ गया है, जबकि हिंदू कैलेंडर में ऐसा नहीं है. हिंदू कैलेंडर के हिसाब से जब नववर्ष शुरू होता है तो समूची प्रकृति नवीनता का अहसास कराती है. पुराने पीले पत्ते पेड़ से गिरने लगते हैं और प्रकृति अपने श्रृंगार की प्रक्रिया में होती है. लाल, पीले, नीले, गुलाबी फूल खिलते हैं. यूं लगता है कि पूरी की पूरी सृष्टि ही नई हो गई है.
-Gregorian Calendar की शुरुआत पार्टी से होती है और इस दौरान खूब जश्न मनाया जाता है, जबकि हिन्दू नववर्ष की शुरुआत त्योहारों से होती है. हम इस दिन को त्योहारों की उर्जा के साथ मनाते हैं. कश्मीर में इस दिन ‘नवरोज’, आंध्र और कर्नाटक में ‘उगादी’ महाराष्ट्र में ‘गुड़ी पड़वा’,केरल में ‘विशु’ और पंजाब में बैसाखी के त्योहार के साथ ये नया साल शुरू होता है.