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विधानसभा सत्र में भारत सरकार का जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) संशोधन अधिनियम-2024 विधेयक पारित हो गया है। इसके कानून बनने के बाद जल प्रदूषित करने वालों पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा। विधेयक में निर्णायक अधिकारी नियुक्त किए जाने का भी प्रावधान किया गया है, जो जुर्माना लगाएगा। अभी तक राज्य में जल प्रदूषण को लेकर निगरानी और कार्रवाई राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के माध्यम से की जाती है। पीसीबी जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम-1974 के तहत कार्रवाई करता है। इस अधिनियम में विभिन्न इकाइयों के जल निस्तारण के लिए राज्य पीसीबी से अनुमति लेने का प्रावधान किया गया। इसके अलावा नमूना लेने, दोषी इकाइयों के विरुद्ध अपराधों का संज्ञान लेते हुए सक्षम न्यायालय में शिकायत वाद दायर करने की शक्तियां दी गईं। केंद्र सरकार ने जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम-2024 को अधिसूचित किया। यह अधिनियम उत्तराखंड विधानसभा में पारित हुआ है। इसके कानून बनने के बाद नए नियम लागू हो जाएंगे।
पहले शर्ताें का उल्लंघन करना, उद्योगों की ओर से मांगी गई सूचनाओं को न भेजना, उद्योगों के निर्देशों का पालन न करने आदि पर जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम-1974 के तहत के सक्षम न्यायालयों में वाद दाखिल किए जाते थे। न्यायालय तीन महीने का कारावास या 10 हजार रुपये जुर्माने से दंडित कर सकता था। कारावास को अधिकतम छह वर्ष करने और सुधार न होने की दशा में प्रतिदिन पांच हजार का अर्थदंड की व्यवस्था थी। न्यायालय कारावास और अर्थदंड दोनों से ही दोषी को दंडित करने की शक्तियां न्यायालय के पास थीं। अब जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) संशोधन अधिनियम-2024 में कारावास की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है।