केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तारीख
केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तारीख – हर साल की तरह शिवरात्री पर केदारनाथ के कपाट खोलने की तारीख को भी ऐलान किया जाता है| आज महाशिवरात्री के पर्व पर केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तारीख का ऐलान कर दिया गया है| 17 मई को सुबह 5 बजे भक्तों के लिए केदारनाथ के कपाट खोल दिए जाएंगे| वहीं बद्रीनाथ के कपाट 18 मई और गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट अक्षय तृतीय पर 14 मई को खोले जाएंगे| 14 मई को केदारनाथ की चल विग्रह डोली ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ से केदारनाथ धाम की ओर प्रस्थान करेगी। 14 मई को फाटा, 15 मई गौरीकुंड, 16 मई की शाम डोली केदारनाथ धाम पहुंचेगी। 17 की सुबह 5 बजे मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे।
श्री केदारनाथ मंदिर आम दर्शनार्थियों के लिए प्रात: 7:00 बजे खुलता है दोपहर एक से दो बजे तक विशेष पूजा होती है और उसके बाद विश्राम के लिए मन्दिर बन्द कर दिया जाता है.शाम को 5 बजे के बाद पुनः दर्शनार्थियों के लिए कपाट खोले जाते हैं शिव की प्रतिमा का विधिवत श्रृंगार करके 7:30 बजे से 8:30 बजे तक नियमित आरती होती है. रात्रि 8:30 बजे केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग का मन्दिर बन्द कर दिया जाता है.
इस साल बागेश लिंग को केदारनाथ धाम का पुजारी नियुक्त किया गया है। मदमहेश्वर मंदिर में शिवलिंग स्वामी, विश्वनाथ मंदिर में शशिधर लिंग, ओंकारेश्वर मंदिर में गंगाधर लिंग को पुजारी घोषित किया गया है। इनके साथ ही शिवशंकर लिंग अतिरिक्त पुजारी रहेंगे। मालूम हो कि केदारनाथ समेत चारधामों के कपाट हर साल अक्टूबर-नवंबर में सर्दियों में बंद कर दिए जाते हैं,
जो अगले साल फिर अप्रैल-मई में भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं|
केदारनाथ मंदिर
केदारनाथ मंदिर भारत के उतराखंड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में हिमालय की गोद में स्थित है। यह शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और चार तीर्थ धाम से एक पवित्र धाम भी है।सबसे ज्यादा बारिश होने की वहज से यह मंदिर सिर्फ साल के केवल 6 माह अप्रैल से नवम्बर के बीच खुला होता हैं. इस मंदिर का निर्माण सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर अर्जुन के पड़पौत्र और पांडव वंश के वंशज जनमेजय ने कराया था. यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग का आकार अन्य सभी ज्योतिर्लिंग से अलग और बड़ा हैं. केदारनाथ मंदिर समुंद्र से 3581 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
इस मंदिर के शिवलिंग को स्वयंभू कहा जाता है।
भारत के 12 ज्योतिर्लिंग में से केदारनाथ मंदिर को पाँचवे ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रसिद्धी प्राप्त है।
श्री केदारनाथ मंदिर की यात्रा किए बिना बद्रीनाथ मंदिर की यात्रा पूर्ण नहीं मानी जाती है।
केदारनाथ मंदिर के पुजारी मैसुर के जंगम ब्रहामण ही होते हैं।
केदारनाथ मंदिर में त्रिकोण आकार का शिवलिंग है।
श्री केदारनाथ में आखिरी 14 किलोमीटर की यात्रा व्यक्ति को ट्रैकिंग करके करनी पड़ती है।
केदारनाथ मंदिर का इतिहास काफी पुराना हैं.
इस मंदिर का निर्माण कब हुआ था
इसकी कोई ठोस जानकारी तो नहीं हैं लेकिन केदारनाथ मंदिर का पहला प्रमाण महाभारत के समय से मिलता हैं
जब पांडवों ने महाभारत युद्ध के बाद इस मंदिर के निर्माण के लिए नींव रखी थी.
जिसके बाद पांडव वंश के जन्मेजय ने यहाँ विशाल भव्य मंदिर का निर्माण कराया था.