
भारत में अमेरिकी वीज़ा के लिए अपॉइंटमेंट पाना अब पहले से कहीं अधिक मुश्किल हो गया है। महामारी के बाद से यह संकट लगातार गहराता गया है, और अब हालात ऐसे हो चुके हैं कि पश्चिम भारत के कुछ क्षेत्रों में वीज़ा श्रेणियों के लिए प्रतीक्षा अवधि 2026 के अंत तक पहुंच गई है।
जल्दी अपॉइंटमेंट की तलाश में अब भारतीय आवेदक थाईलैंड और सिंगापुर जैसे देशों की ओर रुख कर रहे हैं। ट्रैवल एजेंसियों का कहना है कि वीजा रिजेक्शन की दर में भी इजाफा हुआ है और जांच प्रक्रियाएं और अधिक सख्त हो गई हैं।
छात्रों को झटका: वीज़ा इंटरव्यू पर अस्थायी रोक
अमेरिका में पढ़ाई के लिए तैयारी कर रहे हजारों भारतीय छात्रों के लिए ट्रंप प्रशासन का एक फैसला भारी पड़ा है। एफ, एम और जे वीज़ा (स्टूडेंट और एक्सचेंज विजिटर) इंटरव्यू पर अस्थायी रोक लगा दी गई है, जिससे छात्रों की योजनाओं पर गंभीर असर पड़ा है।
प्रेसिडेंट्स एलायंस ऑन हायर एजुकेशन एंड इमिग्रेशन की अध्यक्ष मिरियम फेल्डब्लम ने इस रोक को “बेहद चिंताजनक” बताया और कहा कि यह अमेरिका की वैश्विक प्रतिस्पर्धा और प्रतिभा के लिए खतरा बन सकता है।
एम.एम. एडवाइजरी सर्विसेज की निदेशक मारिया माथाई ने कहा कि भारतीय छात्र अमेरिका में सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय समूह हैं, और इस नीति परिवर्तन का सीधा प्रभाव उन्हीं पर पड़ रहा है। सितंबर 2025 में पढ़ाई शुरू करने वाले छात्रों को वीजा न मिल पाने का डर सता रहा है।
वीज़ा नियमों में सख्ती: अपॉइंटमेंट छूटा तो 4 महीने का बैन
मई 2025 से लागू एक नए नियम के अनुसार, अगर कोई आवेदक अपना वीज़ा इंटरव्यू या इंटरव्यू वेवर अपॉइंटमेंट मिस कर देता है, तो वह अगले 120 दिनों तक दोबारा अपॉइंटमेंट बुक नहीं कर सकेगा।
इसके अलावा, 1 जनवरी 2025 से अपॉइंटमेंट अब सिर्फ एक बार ही री-शेड्यूल किया जा सकेगा। पहले यह सुविधा दो बार तक थी। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव छात्रों और पेशेवरों के लिए बहुत नुकसानदेह हो सकता है।
मार्च में यूएस दूतावास, भारत ने एक पोस्ट में बताया कि उनके कांसुलर विभाग ने लगभग 2,000 अपॉइंटमेंट्स रद्द कर दिए जो बॉट्स द्वारा बुक किए गए थे। मई में एक और अपडेट में विदेश विभाग ने बताया कि वे उन ट्रैवल एजेंसियों पर वीजा प्रतिबंध लगा रहे हैं जो अवैध आप्रवासन में शामिल हैं।
अमेरिका की प्रतिष्ठा और भारतीय छात्रों का भविष्य दांव पर
रामदर्शन पब्लिक स्कूल के निदेशक शुभ अग्रवाल का कहना है कि अमेरिका की इन नीतियों ने छात्रों की शैक्षणिक यात्रा में अवरोध पैदा कर दिया है। कई छात्र जो शीर्ष यूनिवर्सिटीज़ में दाखिला पा चुके हैं, वे अब तनाव, असुरक्षा और आर्थिक जोखिम की स्थिति में हैं।
विश्वविद्यालयों की ओर से टर्म की शुरुआत में भौतिक उपस्थिति की मांग के कारण, वीजा न मिलने पर कई छात्रों को सेशन मिस करना पड़ सकता है या प्रवेश टालना पड़ सकता है।
भारतीय छात्रों और पेशेवरों के लिए अमेरिका में शिक्षा और रोजगार की राह फिलहाल बेहद कठिन और अनिश्चित हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका को अपने वीजा सिस्टम में सुधार कर, छात्रों और वैध आवेदकों के लिए स्पष्ट, सुलभ और समयबद्ध प्रक्रिया सुनिश्चित करनी चाहिए।