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देहरादून में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों ने पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस बार खेलों की ब्रांडिंग में ‘हरित खेल’ थीम को अपनाते हुए प्लास्टिक का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसके बजाय छह लाख वर्ग फीट के व्यापक क्षेत्र में लगाए गए होर्डिंग और बिलबोर्ड के लिए पुन: चक्रित होने वाले ‘सन फैब्रिक’ का उपयोग किया गया है। यह सुनिश्चित किया गया है कि इन सामग्रियों का आयोजन के बाद पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण किया जा सके।
यह पहल पर्यावरण के अनुकूल दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDG) का अनुसरण करती है। इसका फोकस जिम्मेदारी के साथ उपभोग, जलवायु पर प्रभावी कदम उठाने और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर है।
प्लास्टिक कचरे को कम करने की पहल
इस आयोजन में प्लास्टिक कचरे को कम करने और पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने पर विशेष ध्यान दिया गया है। यह प्रयास यह दर्शाता है कि बड़े स्तर पर होने वाली प्रतियोगिताएं भी पर्यावरण की भलाई में योगदान कर सकती हैं।
हरित खेलों का संदेश
‘हरित खेल’ थीम का उद्देश्य व्यक्तियों और संगठनों को प्रेरित करना है कि वे संरक्षण, स्थिरता और हरित भविष्य को प्राथमिकता दें। इस आयोजन ने न केवल खेलों के प्रति उत्साह बढ़ाया है, बल्कि पर्यावरणीय जागरूकता को भी प्रमुखता दी है।
राष्ट्रीय खेलों का यह सत्र पर्यावरण के प्रति उत्तरदायित्व का प्रतीक बनकर उभरा है। यह पहल भविष्य में आयोजित होने वाले आयोजनों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत करती है। खेलों के इस अनूठे आयोजन ने यह साबित कर दिया है कि विकास और पर्यावरण संरक्षण साथ-साथ चल सकते हैं।