त्रिपुरा में मुख्यमंत्री बिप्लव देव ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया और इसी के साथ कई दिनों से चला आ रहा भाजपा में खींचतान का दौर भी खत्म हो गया। इतनी जल्द ये मामला निपट जाएगा किसी को अंदाजा नहीं था, लेकिन जिस सूझबूझ और परफेक्ट मैनेजमेंट के साथ भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व कार्य कर रहा है, उससे स्पष्ट है कि भाजपा पूर्वोत्तर के किले पर पताका फहराती रहेगी। सूत्र बताते हैं कि
त्रिपुरा में सरकार में गतिरोध बढ़ा तो भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने अमित शाह और मोदीजी सहित बड़े नेताओं के चर्चा करने के बाद त्रिपुरा की मैनेजमेंट की जिम्मेदारी हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के महामंत्री बनाए गए विनोद तावड़े को सौंपी।
महाराष्ट्र के नेता विपक्ष और शिक्षा मंत्री रह चुके विनोद तावडे अपने शांत स्वभाव और सादगी भरे जमीनी संपर्कों के लिए जाने जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में विनोद तावडे त्रिपुरा के कई दौरे कर चुके थे और वहां के स्थानीय नेताओं में भी उनका अच्छी खासी पहुंच है। लिहाजा विनोद तावडे को उत्तराखंड दौरे के बीच में वापस बुलाकर ये जिम्मेदारी सौंपी गई। और हुआ वही जिसकी उम्मीद बीजेपी आलाकमान को थी। विनोद तावडे के त्रिपुरा पहुंचने के साथ ही समझाने बुझाने का दौर शुरु हुआ और विप्लव देव ने राज्यपाल को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे का पत्र सौंप दिया। बिल्पव देव के इस्तीफे के बाद जिस प्रकार विनोद तावडे ने उनके कर्मठ कार्यकर्ता और Loyalty is virtue जैसी बातें कहीं वह भी उनकी कुटिलता का परिचय देती है।
Loyalty is a virtue if it is directed at something greater than self-interest. Amazed to witness how without any doubts,our dedicated leader @BjpBiplab tendered his resignation to The Governor of Tripura when asked by the party leadership and will still be working dedicatedly. pic.twitter.com/vE7lZhSv1b
— Vinod Tawde (@TawdeVinod) May 14, 2022
भाजपा की त्रिपुरा मैनेजमेंट से सोनिया, ममता की सरदर्दी बढ़ी-त्रिपुरा में एक साल से भी कम समय बचा है, ऐसे में भाजपा में फूट की खबरों से ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के नेताओं के चेहरों पर जो खुशी थी, वह अब सीएम विपल्व देव के इस्तीफे के बाद सरदर्द में बदलती दिखाई दे रही है। राजनीतिक प्रतिद्वंदियों को उम्मीद थी कि त्रिपुरा में नाराजगी का दौर लंबा चलेगा तो इससे स्पष्ट रुप से लाभ आने वाले चुनावों में उन्हें ही मिलेगा, लेकिन जिस प्रकार विनोद तावडे और भूपेन्द्र सिंह के पहुंचते ही सारा माहौल शांत हो गया, उससे विपक्षियों की कमर टूटनी तय है। त्रिपुरा में बदलाव की बात कहकर प्रचार करने वालों के सामने बीजेपी ने पहले ही बदलाव कर दिया है।