श्री बालाजी धाम डूंडाहेड़ा में चल रही श्रीराम कथा के पांचवें दिन महामंडलेश्वर श्री भैया दास जी महाराज की धर्म बेटी बाल साध्वी राधा देवी जी ने राक्षसों से त्रस्त होकर पृथ्वी मां ने गौ माता का रूप धारण कर देवताओं ने जो प्रार्थना की उस प्रसंग को सुनाते हुए कहां की प्रार्थना में बहुत शक्ति होती है। जब कोई श्रद्धालु भक्त भगवान से श्रद्धा भाव प्रार्थना करता है तो भगवान उस प्रार्थना को अवश्य स्वीकार करते हैं। रावण के अत्याचार से पृथ्वी पर हाहाकार मचने लगा संत महात्माओं ने कंदरा में जाकर रावण के अनुयायियों से छुप छुप कर अपना पाठ पूजा किया।
उधर पृथ्वी माता राक्षसों के अत्याचार और संत महात्माओं के दुख को सहन नहीं कर सकी। उन्होंने गौ माता का रूप धारण किया और देवताओं को साथ लेकर साथ में शंकर जी को लेकर ब्रह्मा जी के पास गई ब्रह्मा जी ने सब के दुख को सुना और समस्या का समाधान भगवान विष्णु के चरणों में बताया सब देवता पृथ्वी मां के साथ भगवान विष्णु के चरणों में जाने को तैयार हुए। उसी समय भोले बाबा ने कहा मेरी बात अगर आपको अच्छी लगे तो उस परमपिता परमात्मा मेरे आराध्य भगवान विष्णु को यहीं बैठकर एक साथ में सब प्रार्थना करेंगे एकता में अनेकता होती है। संगठन में बल होता है। आप सब मेरी बात मान कर यहीं बैठकर भगवान विष्णु से प्रार्थना करें। क्योंकिहरि व्यापक सर्वत्र समाना l प्रेम से प्रगट हो ही मैं जाना ll परमपिता परमात्मा प्रेम से पुकारने पर अवश्य ही आता है। उसे जो जितनी श्रद्धा भाव से पुकारेगा वह उतना ही जल्दी आएगा मेरी बात मान कर यहीं बैठकर सब प्रार्थना करो।
भगवान शंकर की बात सभी को अच्छी लगी और सभी ने वहीं बैठ कर भगवान विष्णु को पुकारा जय जय सुरनायक जन सुखदायक परनत पाल भगवंता गो द्विज हितकारी जय ………. देवताओं की पुकार को सुनकर आकाशवाणी हुई कि आप सब घबराओ मत आप सभी वानर कुल में और रिच भालू के रूप में अवतार धारण करो मैं अपनी शक्तियों से ही अयोध्या नरेश महाराज दशरथ जो बड़े ही धर्मात्मा है। उन्होंने पूर्व जन्म में मुझे प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की मैं उनके यहां पुत्र रूप में अपनी शक्तियों सहित आऊंगा उधर मेरी अर्धांगिनी लक्ष्मी जी सीता रूप में राजा जनक के यहां अवतरित होंगी और फिर हम सब मिलकर आप सब और संतों के आशीर्वाद से सभी राक्षसों का अंत करेंगे और पृथ्वी मां को राक्षस से मुक्त करेंगे कथा में दूर-दूर से भक्त आए सभी ने बड़ी श्रद्धा से कथा सरवन की और साध्वी जी के प्यारे-प्यारे भजनों पर सभी झूम उठे।
रिपोर्ट-यशपाल कसाना