अगर आप भी बहुत ज्यादा च्युइंग गम चबाते हैं या फिर खाने में वाइट कलर का मेयोनीज आपको काफी पसंद है तो इन चीजों का बहुत ज्यादा सेवन करने से पहले सावधान हो जाइए। इन चीजों में मौजूद फूड एडिटिव की वजह से आपको कोलोरेक्टल कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
दरअसल, खाद्य पदार्थों में रूप, रंग, गंध या अन्य किसी गुण को सुरक्षित रखने या बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होने वाले एजेंट्स को फूड एडिटिव कहा जाता है। च्युइंग गम या मेयोनीज जैसी चीजों में वाइटनिंग एजेंट के रूप में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले फूड एडिटिव की वजह से पेट में जलन से जुड़ी बीमारी और कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा रहता है। हाल ही में हुई एक स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अगले माह दुनिया के सबसे आम कृत्रिम मीठे पदार्थ एस्पार्टेम को कैंसरकारक घोषित करने जा रहा है। यह फैसला खाद्य उद्योग और नियामकों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है, क्योंकि एस्पार्टेम का इस्तेमाल तमाम कोल्ड ड्रिंक, एनर्जी ड्रिंक, च्युइंग गम जैसी चीजों में हो रहा है।
डब्ल्यूएचओ की एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) इसे 14 जुलाई को आधिकारिक तौर पर कार्सिनोजेन घोषित करेगी। इससे पहले डब्ल्यूएचओ ने वजन नियंत्रण के लिए नॉन शुगर स्वीटनर (एनएसएस) का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी थी, जिसके बाद से ही खाद्य उद्योग में हंगामा मचा है।
आईएआरसी ने कहा, एस्पार्टेम को संभावित कैंसरकारक घोषित करने का मकसद भ्रम या मुश्किलें पैदा करना नहीं है, बल्कि इसके संबंध में और ज्यादा शोध को प्रोत्साहित करना है।
जेईसीएफए 1981 से अब तक स्वीकृत दैनिक सीमा के भीतर एस्पार्टेम के सेवन को सुरक्षित बताती रही है। मिसाल के तौर पर 60 किलो वजन वाले एक वयस्क को एस्पार्टेम से जोखिम तभी होगा, जब वह हर दिन 12 से 36 कैन डाइट सोडा पी रहा हो।
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एस्पार्टेम के इस्तेमाल पर पिछले वर्ष फ्रांस में एक लाख से ज्यादा लोगों पर शोध किया गया। इसमें सामने आया कि जो लोग जितना ज्यादा कृत्रिम मीठा लेते हैं, उनमें कैंसर का खतरा उतना ज्यादा बढ़ जाता है।