गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने न्यू यॉर्क टाइम्स को दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने अपनी पहले की अपनी स्थिति के बारे में भी बताया है, कि कैसे वह चेन्नई में पले बढ़े। उन्होने अपने इंटरव्यू में कहा कि ‘मेरी लाइफ सिंपल रही है जो अभी की दुनिया के मुकाबले काफी बेहतर थी। हम एक मामूली घर में रहते थे जिसे किराए पर भी लगाया गया था। हम कमरे के फर्श पर सोते थे। मैं जब बड़ा हो रहा था तो सूखा पड़ा था जो काफी चिंताजनक था। यहां तक कि आज भी मैं बेड के पास पानी की बॉटल रखे बिना नहीं सोता हूं। दूसरे घरों में रेफ्रिज़्रेटर थे, लेकिन बाद में हमारे यहां आया जो हमारे लिए बड़ी बात थी.’
बता दें कि स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से पहले सुंदर पिचाई ने आईआईटी खड़गपुर से पढ़ाई की है। स्टैनफोर्ड में उन्होंने मेटेरियल साइंस एंड इंजिनयरिंग में एमएस किया है। उन्होंने कहा कि तब कंप्यूटर और लैब्स का ऐक्सेस मिलना उनके लिए बड़ी बात हुआ करती थी।सुंदर पिचाई ने यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसलवेनिया के वॉर्टन स्कूल से एमबीए भी किया है। उन्होंने 2004 में सर्च इंजन गूगल ज्वाइन किया और तब वो गूगल क्रोम ब्राउजर डेवेलप करने वाली टीम का हिस्सा थे। 10 साल बाद उन्हें प्रोडक्ट इंचार्ज बनाया गया जिसमें सर्च, ऐड और एंड्रॉयड शामिल थे। 2015 में उन्हें गूगल का सीईओ बनाया गया और पिछले साल गूगल की पेरेंट कंपनी ऐल्फाबेट के बोर्ड में भी उन्हें जगह दी गई। उन्होंने इंटरव्यू में यह भी बताया है कि उनका बेटा 11 साल का है और वो इथिरम (क्रिप्टोकरेंसी) माइन करता है और पैसे कमाता है। उसे इस बात की समझ हो रही है कि दुनिया कैसा काम कर रही है कैसे चीजें चल रही हैं।