
हिमालय की ऊंची चोटियों पर स्थित बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक भगवान केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने की प्रक्रिया सोमवार से शुरू हो गई है। परंपरा के अनुसार, कपाट बंद होने से पूर्व भैरवनाथ मंदिर में वर्ष की अंतिम पूजा-अर्चना विधि-विधान से सम्पन्न की गई।
श्रावण और भाद्रपद माह में लाखों श्रद्धालुओं को दर्शन कराने के बाद अब भगवान केदारनाथ की उत्सव डोली शीतकालीन प्रवास के लिए ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर की ओर प्रस्थान करने की तैयारी में है। सोमवार सुबह पुजारियों ने विशेष पूजा कर भैरवनाथ मंदिर में भगवान केदारनाथ के प्रति आभार व्यक्त किया। पूजा में तीर्थ पुरोहितों, रावल (मुख्य पुजारी), हक-हकूकधारियों और देवस्थानम बोर्ड के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
भैरवनाथ मंदिर परिसर में पूजा के दौरान पारंपरिक वाद्ययंत्रों की गूंज और भक्तों के “हर-हर महादेव” के जयघोष से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। भक्तों ने भगवान केदारनाथ से आगामी वर्ष पुनः दर्शन का आशीर्वाद मांगा।
देवस्थानम बोर्ड के अनुसार, केदारनाथ धाम के कपाट 26 अक्टूबर को प्रातः 8 बजकर 30 मिनट पर शीतकाल के लिए विधिवत बंद किए जाएंगे। कपाट बंद होने से पहले भगवान की विशेष श्रंगार पूजा और रुद्राभिषेक संपन्न होगा। तिथि वृश्चिक संक्रांति और पंचांग गणना के आधार पर तय की गई है।
इस वर्ष लगभग 18 लाख श्रद्धालुओं ने केदारनाथ धाम के दर्शन किए — जो अब तक का रिकॉर्ड आंकड़ा है। बीते छह महीनों के यात्रा सीजन में भारी संख्या में श्रद्धालुओं की आमद के बावजूद प्रशासन ने व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से बनाए रखा।
कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ की उत्सव मूर्ति को भव्य डोली यात्रा के माध्यम से ऊखीमठ ले जाया जाएगा, जहां सर्दियों के छह महीने तक ओंकारेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना की जाएगी।
भैरवनाथ मंदिर में हुई अंतिम पूजा के दौरान स्थानीय लोगों में भावनात्मक माहौल देखा गया। लोगों ने कहा कि यह क्षण हर वर्ष मिश्रित भावनाओं से भरा होता है — एक ओर भगवान के दर्शनों की पूर्णता का आनंद, तो दूसरी ओर अगले छह महीनों तक केदारपुरी के शांत रहने का अहसास।












