केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी करते हुए देश की सभी सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को लोगों के निजी कंप्यूटरों में मौजूद डाटा पर नजर रखने और जांचने का अधिकार दे दिया गया है। केंद्र सरकार के द्वारा जारी किए गए आदेश के मुताबिक सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 के तहत अगर एजेंसियों को किसी भी संस्थान या व्यक्ति पर देशविरोधी गतिविधियों में शामिल होने का संदेह होता है तो सुरक्षा एजेंसियं उनके कंप्यूटरों में मौजूद डाटा की जांच सकती हैं और उन पर कार्रवाई कर सकती हैं।
केंद्र सरकार अब सूचना प्रोधोगिकी अधिनियम की धारा 79 को पूर्ण में लाने की तैयारी में है। हाल ही में आए एक रिपोर्ट के मुताबिक यह सेक्शन देशभर में इस्तेमाल हो रहे सभी ऑनलाइन सोशल साइटस पर लागू होगा। इस अधिनियम के लागू होने पर फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप, शेयरचैट, गूगल, अमेजॉन और याहू जैसी कंपनियों को सरकार द्वारा मांगे जाने पर पूरी जानकारी देनी होगी।
सरकार को जानकारी देंगी सभी सोशल मीडिया कंपनियां
यदि सरकार को किसी संदेश, वीडियो या फोटो पर होता है तो सरकार ऐसे मैसेज के बारे में सोशल मीडिया कंपनियों से जानकारी मांग सकेगी और इन कंपनियों को एंड टू एंड एंक्रिप्शन को दरकिनार कर मैसेज के बारे में सरकार को पूरी जानकारी देनी होगी।
एंड टू एंड एंक्रिप्शन एक ऐसा सुरक्षा कवच है जिसमें आपके मैसेज के बारे में पूरी जानकारी आपको होती है और आपने जिसे मैसेज भेजा है उसको होती है। धारा 79 के लागू होने के बाद गैर-कानूनी रूप से ऑनलाइन देखे जाने वाले कंटेंट पर रोक लग पाएगी।इस मामले में सरकार द्वारा एक बैठक भी हुई थी।
बैठक में साइबर लॉ डिवीजन, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, ऑइंटरनेट सेवा प्रदाता संघ के एक अधिकारी, गूगल, फेसबुक, व्हाट्सऐप, अमेजॉन, याहू, ट्विटर, शेयरचैट और सेबी के प्रतिनिधियों शामिल थे। इस एक्ट के लागू होने के बाद किसी भी मामले पर सोशल मीडिया कंपनियों को सरकार को 72 घंटों के भीतर जानकारी देनी होगी।