
देश में खेलों की गरिमा को एक बार फिर गहरी ठेस पहुंची है। उत्तराखंड में हाल ही में आयोजित हुए 38वें राष्ट्रीय खेलों में डोपिंग का बड़ा मामला सामने आया है। राष्ट्रीय डोप रोधी एजेंसी (नाडा) की रिपोर्ट के अनुसार, 11 खिलाड़ी डोप टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए हैं, जिनमें से अधिकांश पदक विजेता हैं।
सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि डोपिंग में फंसे खिलाड़ियों में से छह खिलाड़ी पंजाब से हैं, जिनमें प्रसिद्ध बास्केटबॉल खिलाड़ी अमृतपाल सिंह का नाम सबसे ऊपर है। अमृतपाल ऑस्ट्रेलिया और जापान की प्रतिष्ठित लीग में भी खेल चुके हैं और उन्होंने हाल ही में पंजाब के लिए स्वर्ण पदक जीता था।
यह दूसरी बार है जब अमृतपाल सिंह डोपिंग के मामले में फंसे हैं। 2020 में भी वे डोप टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए थे। यदि वह इस बार भी दोषमुक्त नहीं हुए, तो आठ साल का प्रतिबंध झेलना पड़ सकता है, जिससे उनका करियर लगभग समाप्त माना जाएगा।
डोपिंग की चपेट में आई एक अन्य प्रमुख खिलाड़ी हैं तमिलनाडु की वेटलिफ्टर एलिश अरोकिया, जो 87 किलो वर्ग में राष्ट्रीय रिकॉर्डधारी हैं। उन्हें आगामी ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में भारत की स्वर्ण पदक की सबसे बड़ी उम्मीद माना जा रहा था। इस खुलासे से भारतीय खेल जगत को बड़ा झटका लगा है।
वूशु में भी डोपिंग के केस
वूशु खेल में भी डोपिंग के गंभीर मामले सामने आए हैं। खिलाड़ियों नीरज जोशी और राहुल तोमर के नमूनों में एक से अधिक प्रतिबंधित दवाओं का मिश्रण पाया गया है, जो खिलाड़ियों के स्वास्थ्य और खेल की नैतिकता दोनों के लिए गंभीर खतरा हैं।
नाडा के अनुसार, अभी भी कई खिलाड़ियों के नमूनों की जांच जारी है, जिससे डोप पॉजिटिव खिलाड़ियों की संख्या और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। इससे पहले 2023 में गोवा में हुए राष्ट्रीय खेलों में 25 खिलाड़ी डोप में पकड़े गए थे, जबकि 2015 के केरल और 2022 के गुजरात खेलों में क्रमश: 16 और 10 खिलाड़ी डोपिंग में दोषी पाए गए थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तीन खिलाड़ियों—जिनमें दो महिला एथलीट और एक मॉडर्न पेंटाथलन की खिलाड़ी शामिल हैं—पर “स्पेसिफाइड सब्सटेंस” के आधार पर फिलहाल अस्थायी प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। इनमें से दो खिलाड़ियों ने इन खेलों में स्वर्ण पदक भी जीते हैं।
डोपिंग जैसे मामले न केवल खिलाड़ियों के करियर को खत्म करते हैं, बल्कि खेलों की गरिमा और देश की साख पर भी गंभीर सवाल खड़े करते हैं। जरूरत है सख्त निगरानी, बेहतर शिक्षा और नैतिक मूल्यों की, ताकि युवा खिलाड़ी शॉर्टकट की बजाय मेहनत और ईमानदारी से आगे बढ़ें।