डीएम अल्मोड़ा के आदेश को कोर्ट ने किया खारिज,कोर्ट ने निर्माण कार्य को जारी रखने के दिए निर्देश

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उत्तराखंड में नेताओं द्वारा राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर प्रशासन पर दबाव बनाकर नियमों के विरुद्ध काम करने की प्रवृत्ति पर नैनीताल हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। अल्मोड़ा जिले के जागेश्वर विधानसभा से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि हमें यह देखकर पीड़ा होती है कि जिन लोगों के पास किसी मामले को देखने की क्षमता नहीं है, वे अपनी राजनितिक शक्ति का इस्तेमाल कर प्रशासन के कार्य में हस्तक्षेप कर रहे हैं और साथ ही प्रशासन अपने विवेक का प्रयोग न कर राजनीतिक दबाव में काम करता है।

मामले में मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने जागेश्वर विधायक मोहन सिंह मेहरा और डीएम अल्मोडा को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिये हैं। जून माह में जिला पंचायत अल्मोडा के जागेश्वर विकास क्षेत्र के अनुसूचित बहुल गावों में सुविधाएं स्थापित करने से संबंधित पांच विकास परियोजनाओं पर कार्य प्रारंभ किया गया। इसमें अनुसूचित जाति उपयोजना के तहत समाज कल्याण विभाग से प्राप्त 82.44 लाख रुपये की योजनाओं के टेंडर किये गये। यह टेंडर अल्मोड़ा निवासी राजेंद्र दुर्गपाल के नाम आवंटित हुआ था।

डीएम के आदेश को हाईकोर्ट ने किया ख़ारिज 

राजेंद्र दुर्गपाल ने काफली और मटकन्या गांव में टैंक सुरक्षा दीवार का काम शुरू कराया था। लेकिन, 27 जुलाई को जागेश्वर विधायक ने काम को तत्काल बंद करने और दोबारा टेंडर करने के संबंध में डीएम अल्मोडा को पत्र लिखा। डीएम ने भी मामले पर विचार किए बिना 28 जुलाई को निर्माण कार्य रुकवा दिया था। ठेकेदार राजेंद्र दुर्गपाल ने डीएम अल्मोडा के इस आदेश को चुनौती देते हुए नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दी थीं जिसमें उन्होंने विधायक द्वारा प्रशाशन पर दबाव बनाकर कार्य को रोकने की बात कही थी। इस मामलें पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। साथ ही डीएम के आदेश पर रोक लगाते हुए निर्माण कार्य जारी रखने के निर्देश भी दिए है।

अब मामले में कोर्ट में अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी। लेकिन, इस मामले से साफ पता चलता है कि प्रशासन किस तरह राजनीतिक दबाव में काम करता है। इस मामले पर कोर्ट की टिप्पणी के बाद पूरे राज्य में विवाद है।