
पश्चिम एशिया में एक बार फिर हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं। अमेरिका द्वारा ईरान के तीन प्रमुख परमाणु केंद्रों पर किए गए हमले के बाद पूरे क्षेत्र में चिंता और अस्थिरता का माहौल बन गया है। इस घटना के बाद अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल तेज हो गई है। ईरान ने इसे अमेरिका की ‘आक्रामक कार्रवाई’ बताया है और अब इस मुद्दे पर रूस के साथ रणनीतिक वार्ता की तैयारी कर रहा है।
ईरान के विदेश मंत्री रूस रवाना
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने रविवार को पुष्टि की कि वे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के लिए सोमवार को रूस का दौरा करेंगे। अराघची ने कहा, “रूस, ईरान का मित्र देश है और हम एक-दूसरे से नियमित सलाह-मशविरा करते हैं। इस बार मुलाकात बेहद गंभीर मुद्दों पर होगी।” माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच अमेरिका की सैन्य कार्रवाई, पश्चिम एशिया की मौजूदा स्थिति और आगे की रणनीति को लेकर अहम चर्चा होगी।
इस बीच रूस के पूर्व राष्ट्रपति और राष्ट्रपति पुतिन के करीबी दिमित्री मेदवेदेव ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा, “ट्रंप खुद को शांति दूत बताते थे, लेकिन अब उन्होंने अमेरिका को एक और युद्ध में झोंक दिया है।” उन्होंने यह भी दावा किया कि कई देश ईरान को परमाणु हथियार देने को तैयार हैं, हालांकि उन्होंने इन देशों का नाम नहीं बताया।
इज़राइल में लगातार धमाकों का दावा
मेदवेदेव ने यह भी कहा कि इस्राइल की जनता अब लगातार हमलों के डर में जी रही है। उनके अनुसार, “इस्राइल के विभिन्न इलाकों में बम धमाके हो रहे हैं, और यह सब अमेरिका की कार्रवाई का सीधा नतीजा है।” उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अमेरिका का हमला ईरान को कमजोर नहीं, बल्कि और मजबूत करेगा। इसके साथ ही ईरान को वैश्विक समर्थन भी मिलने लगेगा।
अमेरिका से बातचीत बंद: ईरान
ईरानी विदेश मंत्री अराघची ने साफ किया कि अब अमेरिका के साथ किसी भी प्रकार की बातचीत संभव नहीं है। उन्होंने कहा, “हम जिनेवा में यूरोपीय देशों के साथ कूटनीतिक वार्ता कर रहे थे, लेकिन इस्राइल के हमले और अमेरिका के समर्थन ने बातचीत के रास्ते बंद कर दिए।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अमेरिका ने जानबूझकर इन प्रयासों को विफल किया और साबित कर दिया कि वह सिर्फ धमकी और ताकत की भाषा समझता है।
ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव वैश्विक राजनीति को नई दिशा में मोड़ रहा है। जहां एक ओर ईरान और रूस की निकटता बढ़ती दिख रही है, वहीं अमेरिका की कार्रवाई पर वैश्विक प्रतिक्रियाएं तीव्र हो रही हैं। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि यह टकराव किस दिशा में आगे बढ़ता है – युद्ध की ओर या कूटनीतिक समाधान की ओर।