
भारत और ओमान के बीच आज एक ऐतिहासिक व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) पर हस्ताक्षर होने जा रहे हैं, जिसे दोनों देशों के रिश्तों में एक बड़ा मील का पत्थर माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की पश्चिम एशिया नीति के तहत यह समझौता रणनीतिक और व्यापारिक दृष्टि से बेहद अहम है। इस ‘फ्री ट्रेड डील’ के लागू होने के बाद भारत और ओमान के बीच द्विपक्षीय व्यापार, जो फिलहाल करीब 10 से 12 अरब डॉलर के आसपास है, उसमें आने वाले वर्षों में तेज़ बढ़ोतरी की उम्मीद जताई जा रही है।
इस समझौते का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि भारत से ओमान भेजे जाने वाले अधिकांश उत्पादों पर सीमा शुल्क या तो पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा या उसमें बड़ी कटौती की जाएगी। इससे भारतीय सामान ओमानी बाजार में ज्यादा सस्ते और प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे। खास तौर पर पेट्रोलियम उत्पाद, लोहा और इस्पात, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा और कृषि उत्पादों से जुड़े भारतीय निर्यातकों को इसका सीधा लाभ मिलने की संभावना है। सरकार का मानना है कि इससे न सिर्फ निर्यात बढ़ेगा, बल्कि छोटे और मझोले कारोबारियों को भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में मजबूत पकड़ बनाने का मौका मिलेगा।
वस्तुओं के साथ-साथ सेवा क्षेत्र के लिए भी यह समझौता नए अवसरों के दरवाजे खोलेगा। आईटी, इंजीनियरिंग और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े भारतीय पेशेवरों के लिए ओमान में काम करना और वहां अपनी सेवाएं देना पहले की तुलना में कहीं अधिक आसान हो जाएगा। इससे दोनों देशों के बीच कौशल और तकनीकी सहयोग को भी मजबूती मिलने की उम्मीद है।
रणनीतिक दृष्टि से ओमान भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। ओमान को खाड़ी देशों के प्रवेश द्वार के रूप में देखा जाता है और यह समझौता भारत के लिए अन्य GCC देशों के साथ व्यापारिक संबंधों को और गहरा करने का रास्ता खोल सकता है। ओमान की भौगोलिक स्थिति भारत के समुद्री व्यापार और लॉजिस्टिक्स के लिहाज से भी अहम है। इसके अलावा, ओमान भारत का एक प्रमुख ऊर्जा साझेदार है और इस डील से कच्चे तेल और गैस की आपूर्ति को लेकर भारत की ऊर्जा सुरक्षा और मजबूत होगी।
पश्चिम एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच भारत और ओमान के बीच यह फ्री ट्रेड डील रणनीतिक संतुलन के लिहाज से भी अहम मानी जा रही है। इससे क्षेत्र में भारत की आर्थिक और कूटनीतिक मौजूदगी को नई मजबूती मिलेगी। पिछले वित्तीय वर्ष में दोनों देशों के बीच व्यापार में पहले ही उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई थी और ओमान में 6,000 से अधिक भारतीय संयुक्त उद्यम सक्रिय हैं। CEPA के बाद भारतीय कंपनियों के लिए ओमान के विशेष आर्थिक क्षेत्रों में निवेश करना और भी आसान हो जाएगा, जिससे द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग एक नई ऊंचाई पर पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है।













