
अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीज़ा की फीस में बड़ा इजाफा कर दिया है। अब इस वीज़ा के लिए आवेदन करने का खर्च लगभग 1 लाख अमेरिकी डॉलर यानी करीब 88 लाख रुपये तक पहुंच गया है। यह बढ़ोतरी भारतीय आईटी पेशेवरों और कामकाजी युवाओं के लिए बड़ी मुश्किल बन गई है।
इसी मुद्दे पर भारत की संसद की विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने चिंता जताई है। उन्होंने अमेरिकी भारतीय समुदाय से अपील की है कि वे इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाएं।
संसदीय पैनल की अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल से बैठक
मंगलवार को संसद की विदेश मामलों की स्थायी समिति और अमेरिकी सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल के बीच बैठक हुई। इस दौरान भारत के हितों के खिलाफ लिए गए कुछ अमेरिकी फैसलों पर चर्चा हुई।
बैठक में थरूर ने सवाल उठाया कि आखिर भारतीय-अमेरिकी समुदाय H-1B वीज़ा और दूसरे मुद्दों पर इतना चुप क्यों है। उनके मुताबिक, अगर भारतीय-अमेरिकी अपनी मातृभूमि की परवाह करते हैं तो उन्हें खुलकर अपनी बात कहनी चाहिए और अमेरिकी नेताओं पर दबाव बनाना चाहिए।
एक भी फोन कॉल नहीं आया – थरूर
थरूर ने बताया कि एक अमेरिकी सांसद ने हैरानी जताते हुए कहा कि उनके दफ़्तर में किसी भी भारतीय-अमेरिकी मतदाता का एक भी फोन कॉल तक नहीं आया, जिसमें H-1B नीति में बदलाव पर विरोध दर्ज कराया गया हो। थरूर ने जोर देकर कहा कि भारतीय-अमेरिकी समुदाय को अपने सांसदों को फोन, ईमेल या संदेश भेजकर भारत के हितों की रक्षा की अपील करनी चाहिए।
भारत-अमेरिका संबंधों पर चर्चा
बैठक के दौरान अमेरिकी सांसदों ने भारत की मजबूत और लचीली अर्थव्यवस्था की प्रशंसा की। उन्होंने भारतीय समुदाय के योगदान को भी सराहा। इस मीटिंग में ईरान के चाबहार बंदरगाह, जिस पर भारत काम कर रहा है, को अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट देने का मुद्दा भी उठाया गया। साथ ही भारत से आने वाले सामान पर लगाई गई 50 प्रतिशत टैरिफ दर पर भी चर्चा हुई। कई अमेरिकी सांसदों ने इन फैसलों को ट्रंप प्रशासन की गलत नीतियां बताया। थरूर ने कहा कि बैठक से साफ हो गया है कि अमेरिकी कांग्रेस और अमेरिकी जनता का बड़ा हिस्सा भारत-अमेरिका संबंधों और रणनीतिक साझेदारी का समर्थन करता है।