रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) ने संभवत: दिवाला समाधान योजना को मंजूरी दे दी है। समाधान योजना के तहत कंपनी की संपत्तियों की रिलायंस जियो और यूवीएआरसीएल को बिक्री से ऋणदाताओं को 23,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने पीटीआई भाषा से कहा कि योजना के तहत आरकॉम के 38 ऋणदाताओं को अपने बकाया गारंटी वाले 33,000 करोड़ रुपये के ऋण में से 70 प्रतिशत की वसूली की उम्मीद है। सूत्र ने कहा कि सीओसी की बैठक में समिति ने आरकॉम और उसकी अनुषंगियों आरटीएल और आरआईटीएल के लिए समाधान योजनाओं को मंजूरी दी।
योजना के पक्ष में शतप्रतिशत मत पड़े, जबकि मंजूरी के लिए सिर्फ 68 प्रतिशत मतों की जरूरत थी। ऋणदाताओं ने पिछले साल अगस्त में 49,000 करोड़ रुपये का दावा किया था। इनमें से 33,000 करोड़ रुपये का ऋण गारंटी वाला है। सीओसी की 13 जनवरी, 2019 को हुई बैठक में रिलायंस जियो और यूवी एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लि. ने आरकॉम की संपत्तियों के लिए सबसे ऊंची बोली लगाई थी। जियो ने रिलायंस इन्फ्राटेल लि. (आरआईटीएल) की टावर और फाइबर संपत्तियों के लिए करीब 4,700 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी।
वहीं यूवीएआरसीएल ने आरकॉम और रिलायंस टेलीकॉम लि. (आरटीएल) के स्पेक्ट्रम, रीयल एस्टेट संपत्तियों, एंटरप्राइज और डाटा सेंटर कारोबार के लिए 14,000 करोड़ रुपये की बोलियां लगाई थीं। इसके अलावा ऋणदाताओं को चीन (1,300 करोड़ रुपये) और भारतीय ऋणदाताओं (3,000 करोड़ रुपये) को किए गए 4,300 करोड़ रुपये के प्राथमिकता के भुगतान की वसूली की भी उम्मीद है। भारतीय दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता बोर्ड के अनुसार भूषण स्टील के समाधान मामले में ऋणदाताओं की वसूली 63 प्रतिशत रही, जबकि एस्सार स्टील के मामले में यह 60 प्रतिशत रही।