केंद्र सरकार और भारतीय रिर्जव बैंक के बीच चल रही तनातनी थमने का नाम नही ले रही है। ऎसे में भारत सरकार रिर्जव बैकं का सेक्शन 7 लागू कर सकती है। वही इसी बीच आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल इस्तीफा दे सकते हैं। वही अगर ऐसा होता है तो भारत में कोई भी सरकार पहली बार इस सेक्शन का प्रयोग करेगी।
बता दे कि, रिजर्व बैंक के सेक्शन 7 के तहत सरकार को ये अधिकार है कि वो आरबीआई के गवर्नर को गंभीर और जनता के हित के मुद्दों पर काम करने के लिए निर्देश दे सकती है। बताया जा रहा है कि उर्जित पटेल ने अपना पक्ष सरकार के सामने रखते हुए कहा है कि, वो आरबीआई के रिजर्व पर पर रेड न करे। सरकार चाहती है कि अगर पटेल इस्तीफा देते हैं तो अगला गवर्नर कोई ब्यूरोक्रेट हो। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल अचार्य ने शुक्रवार को सरकार के हस्तक्षेप की ओर इशारा किया था। विरल अचार्य ने आरबीआई की स्वायत्तता को लेकर चिंता जाहिर की थी। विरल ने कहा था कि आरबीआई की स्वायत्तता पर चोट किसी के हक में नहीं होगी। इस बीच आरबीआई कर्मचारियों के संगठन ने डिप्टी गवर्नर का समर्थन किया है। खबरों के मुताबिक रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के बयान के बाद टकराव सार्वजनिक होने से केंद्र सरकार परेशान और नाराज है। केंद्र को आशंका है कि इस वाक्य से इनवेस्टर्स की नजर में देश की छवि खराब हो सकती है।
जेटली ने अमेरिका-भारत रणनीतिक भागीदारी मंच द्वारा आयोजित ‘इंडिया लीडरशिप सम्मिट’ में कहा, ‘वैश्विक आर्थिक संकट के बाद आप देखें 2008 से 2014 के बीच अर्थव्यवस्था को कृत्रिम रूप से आगे बढ़ाने के लिये बैंकों को अपना दरवाजा खोलने तथा अंधाधुंध तरीके से कर्ज देने को कहा गया।’ उन्होंने कहा, ‘केंद्रीय बैंक की निगाह कहीं और थी। उस दौरान अंधाधुंध तरीके से कर्ज दिये गये।’ वित्त मंत्री ने कहा कि तत्कालीन सरकार बैंकों पर कर्ज देने के लिये जोर दे रही थी जिससे एक साल में कर्ज में 31 प्रतिशत तक वृद्धि हुई जबकि औसत वृद्धि 14 प्रतिशत थी।