देश में अब तक 1 करोड़ 14 लाख 38 हजार 464 लोग इस महामारी की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से 1 करोड़ 10 लाख 43 हजार 337 ठीक भी हुए हैं। 1 लाख 59 हजार 79 ने अपनी जान गंवाई है, जबकि 2 लाख 31 हजार 335 का इलाज चल रहा है।
ऐसे में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्यों के सीएम के बीच यह जरूरी बैठक दोपहर 12.30 बजे शुरू हुई। महाराष्ट्र के बाद अब देश के दूसरे कई राज्यों में कोरोना वायरस से हालात खराब होते जा रहे है। इसके मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वर्चुअल माध्यम से चर्चा हुई।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्रियों के बीच कोरोना के मामलों को लेकर बैठक शुरू हो गई है। इस बैठक में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल शामिल नहीं हुए हैं।उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी आज इस बैठक में शामिल नहीं थे।यूपी सीएम योगी इस वक्त असम में चुनावी प्रचार में व्यस्त हैं, ऐसे में उनकी बजाय राज्य के स्वास्थ्य मंत्री शामिल होंगे।
पीएम मोदी ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि एक बार फिर टेस्टिंग, ट्रैकिंग और ट्रीटमेंट पर जोर देने की जरूरत है. महाराष्ट्र, पंजाब, केरल, जैसे से राज्यों में बढ़ रहे मामलों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चिंता व्यक्त की है.पीएम मोदी ने कहा कि अगर कोरोना की इस वेव को यहीं नहीं रोका गया तो देशव्यापी असर देखने को मिल सकता है।
कोरोना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि जनता को पैनिक मोड में नहीं लाना है, भय का माहौल नहीं बनाना है. हमें जनता को परेशानी से मुक्ति दिलानी है और पुराने अनुभवों को फिर से इस्तेमाल में लाना होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक में कहा कि दुनिया में कई कोरोना प्रभावित देश ऐसे हैं, जहां कोरोना की कई लहर सामने आई हैं। हमारे यहां भी कुछ राज्यों में अचानक से केस बढ़ने लगे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश जैसे देशों में पॉजिटिव रेट काफी बढ़ा है।पीएम मोदी ने कहा कि टेस्ट-ट्रैक और ट्रीट को फिर से गंभीरता से लेना होगा. टेस्टिंग को बढ़ाना होगा, RT-PCR टेस्ट की संख्या 70 फीसदी से ऊपर लानी होगी. केरल-यूपी-छत्तीसगढ़ में रैपिड टेस्टिंग ही की जा रही है, जो चिंता का विषय है।
एम मोदी ने राज्यों को दिए ये पांच मंत्र…
- ‘दवाई भी-कड़ाई भी’ का पालन करना होगा।
- RT-PCR टेस्टिंग को बढ़ाना ही होगा।
- माइक्रो-कंटेनमेंट जोन बनाने पर जोर दिया जाए।
- वैक्सीन लगाने वाले केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए, सरकारी-प्राइवेट किसी में भी वैक्सीन लगाने की सुविधा हो।
- वैक्सीन की एक्सपाइरी डेट का भी ध्यान रखना होगा।