
उत्तराखंड में हाल की प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित परिवारों की पीड़ा ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। गुरुवार को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देहरादून पहुंचे और राहत शिविरों में रह रहे पीड़ितों से मुलाकात की, तो भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। आपदा में सब कुछ खो चुके लोगों की दास्तान सुनकर स्वयं प्रधानमंत्री की आंखें भी नम हो गईं।
पीड़ितों से सीधा संवाद, बांटा दर्द
राहत शिविरों में रहने वाले बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों से सीधे संवाद करते हुए पीएम मोदी ने न सिर्फ उनकी समस्याएं सुनीं, बल्कि उन्हें ढांढस भी बंधाया। किसी ने अपना घर खो दिया, तो कोई रोज़गार और ज़मीन गंवाने की पीड़ा लिए बैठा था। बच्चों की मासूम आंखों में डर और महिलाओं की टूटी आवाज़ में छिपी वेदना प्रधानमंत्री को गहराई से छू गई।
संवेदनशीलता की मिसाल बनीं तस्वीरें
प्रधानमंत्री मोदी की पीड़ितों से मुलाकात की कई मार्मिक तस्वीरें सामने आई हैं। एक तस्वीर में वे बच्चों के साथ बैठकर उनकी बातें सुनते दिखते हैं, तो दूसरी में एक बुजुर्ग महिला का हाथ थामे उन्हें सान्त्वना देते नजर आते हैं। ये दृश्य प्रधानमंत्री की मानवीय संवेदनशीलता और जनता से जुड़ेपन को दर्शाते हैं।
सरकार हर कदम पर साथ खड़ी है – पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने आश्वस्त किया कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर हर प्रभावित व्यक्ति की मदद करेगी। उन्होंने कहा, “इस संकट की घड़ी में कोई भी अकेला नहीं है। पुनर्वास के हर कार्य को प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा। उत्तराखंड के विकास और सुरक्षा में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी।”
मनोबल बढ़ाने वाला कदम
विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि प्रधानमंत्री का यह दौरा केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि पीड़ितों के मनोबल को बढ़ाने और प्रशासन को पुनर्वास कार्यों में तेजी लाने का स्पष्ट संदेश है। प्रधानमंत्री मोदी का यह मानवीय और संवेदनशील रुख यह दर्शाता है कि आपदा की इस कठिन घड़ी में देश का नेतृत्व हर नागरिक के साथ खड़ा है। उत्तराखंड फिर से उठेगा, फिर से मुस्कुराएगा — यही भरोसा लेकर लौटे हैं प्रधानमंत्री।













