भारत से पस्त हुए चीनी सैनिक लौटे वापस

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गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को संसद में बयान दे कर बताया की चीन और भारत लद्दाख के गलवान में अपने अपने सैनिको को पूर्व की स्थिती में तैनात करने को राजी हो गए हैं । इस मामले में भारत के सैनिक जहां अपनी पूर्व स्थिती में लौटने लगे हैं वही चीनी सेना भी फिंगर फोर पर अपनी मौजूदा स्थिती से पीछे हटने लगे हैं। पिछले दो दिनो में ही अपने इलाके में कब्जा जमाए चीनी सैनिक तेजी से पीछे हट रही है । सुत्रों को मुताबिक चीन ने पिछले 1 साल में इस इलाके में तैनात किए 200 टैंकों को वापस किया है चीन के तेजी से पीछे हटने को देख कर भारतीय सेना भी हैरान है । गलवान में पिछले साल हुई भारत-चीन सैनिकों के बीच झड़प के बाद दोनो देशों के बीच रिश्ते तल्ख हो गए थे ।

8 दौर की सैन्य कमाण्डर स्तर की वार्ता के बाद भी चीन किसी भी कीमत पर पीछे हटने को तैयार नहीं था जिसकी वजह से भारत को -40 डिग्री के तापमान में बर्फबारी के बीच सर्दियों में भी अपने सैनिकों को तैनात करने का फैसला किया । भारत ने LAC यानी भारत-चीन सीमा पर न सिर्फ बोफोर्स जैसी बड़ी मारक क्षमता वाली तोपों को तैनात किया बल्कि वायु सेना के दस्तों जिनमें हाल ही में फ्रांस से मंगाए गए फाइटर जेट राफेल अमेरिका से मिले मालवाह हैलिकॉपटर चिनुक और फाइटर हैलिकॉप्टर अपाचे को तैनात कर दिया । चीन की आक्रामक नीति के बावजूद भारत के अडिग रहने पर चीन समेत दूनिया के देश हैरान रह गए । आखिरकार 9वें दौर की वार्ता में चीन ने अपने कदम पीछे हटाना मंजूर कर लिया । भारत ने जहां चीन के उत्पादों का बहिष्कार करना शुरु किया तो पब्बजी जैसे मशहुर कई चीनी एप्प को भारत ने बैन कर दिया था । भारत के प्रधानमंत्री ने मेक इन इंडिय कार्यक्रम ही नहीं आत्मनिर्भर भारत का नारा भी दिया जिसके चलते चीनी कंपनियो को अरबो डॉलर का नुकसान हो गया । भारत के आत्मविश्वास को देखते हुए चीन न सिर्फ डर गया है बल्कि उसे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर औद्यौगिक उत्पादों के मामले में कड़ी स्पर्धा मिलने का अंदेशा सताने लगा है क्योंकि वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस फैलाने के आरोपों की वजह से कई देशों जिसमें युरोप और अमेरिकी देशों ने चीन का बहिष्कार कर दिया।