संसद ने शुक्रवार को उस विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी जिसके तहत करदाताओं को अपने कर विवादों के हल के लिए केवल विवादित कर राशि का भुगतान करना होगा और उन्हें ब्याज एवं जुर्माने पर पूरी छूट मिलेगी, लेकिन भुगतान 31 मार्च तक करना होगा। राज्यसभा ने ‘प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास विधेयक, 2020’ को संक्षिप्त चर्चा के बाद लौटा दिया क्योंकि यह धन विधेयक है। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि योजना की समाप्ति की तिथि सरकार द्वारा अधिसूचित की जाएगी और इस संबंध में कोई भ्रम नहीं है। उन्होंने कहा कि यह योजना विवादों के निपटारे के लिए करदाताओं को एक विकल्प मुहैया कराने के लिए है। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार विधेयक के बारे में विस्तृत जानकारी मुहैया कराने के लिए सभी भाषाओं में राज्यों को एक परिपत्र भेजेगी। यह विधेयक ऐसी स्थिति में लाया गया है।
जब अपीलीय निकायों जैसे आयुक्त (अपील), आईटीएटी, उच्च न्यायालयों, उच्चतम न्यायालय और ऋण वसूली न्यायाधिकरणों में प्रत्यक्ष कर से जुड़े 9.32 लाख करोड़ रूपये के 4.83 लाख मामले लंबित हैं। छापा अभियानों में अगर जब्त रकम पांच करोड़ रुपये तक है तो वैसी स्थिति में संसद द्वारा विधेयक पारित होने के बाद इस योजना का लाभ उठाया जा सकता है। प्रस्तावित योजना के तहत, विवादों के निपटारे के इच्छुक करदाताओं को इस वर्ष 31 मार्च तक विवादित कर राशि का भुगतान करने पर ब्याज और जुर्माने की पूरी छूट दी जाएगी।