इस्लामी देशों का समर्थन जुटाने में जुटा पाकिस्तान, भारत के खिलाफ रच रहा नई साजिश

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अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लगातार अलग-थलग पड़ता पाकिस्तान एक बार फिर भारत-विरोधी एजेंडे को हवा देने की पुरानी रणनीति पर लौट आया है। कूटनीतिक मोर्चे पर भरोसा घटने और घरेलू संकट गहराने के बीच पाकिस्तान ने इस्लामी देशों का समर्थन पाने के लिए सक्रिय दौड़भाग शुरू कर दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल आतंरिक विफलताओं को ढकने की कोशिश है, बल्कि भारत पर राजनीतिक और सामरिक दबाव बनाने की सुनियोजित रणनीति भी प्रतीत होता है।

सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान के शीर्ष नेतृत्व ने हाल के हफ्तों में मध्य-पूर्व और खाड़ी क्षेत्र के कई देशों से गहन संपर्क साधा है। विदेश कार्यालय के अधिकारियों को साफ निर्देश दिए गए हैं कि मुस्लिम देशों के मंचों पर भारत से जुड़े मुद्दों खासकर कश्मीर और आतंकवाद को बढ़-चढ़कर उठाया जाए। इसके लिए पाकिस्तान बार-बार भ्रामक दावे सामने रखकर भावनात्मक समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा है।

कूटनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आर्थिक बदहाली, राजनीतिक अस्थिरता और वैश्विक स्तर पर भरोसे में कमी ने पाकिस्तान की स्थिति काफी कमजोर कर दी है। ऐसे में वह इस्लामी दुनिया की एकजुटता का सहारा लेकर खुद को प्रभावशाली दिखाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि कई मुस्लिम देशों ने पहले ही पाकिस्तान के रुख और नीयत पर सवाल उठाए हैं और उसके दावों को संदेह की नजर से देख रहे हैं।

भारत से जुड़े मुद्दों पर पाकिस्तान की बढ़ती हलचल को भारतीय सुरक्षा एजेंसियां भी गंभीरता से परख रही हैं। एजेंसियों के अनुसार पाकिस्तान का यह नया कूटनीतिक अभियान दोहरे उद्देश्य से प्रेरित है। पहला, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर भारत की सकारात्मक छवि को नुकसान पहुँचाना; और दूसरा, स्वयं को इस्लामी दुनिया में ‘नेतृत्वकारी देश’ के रूप में स्थापित करने का प्रयास।

इस बीच अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान की चालों को लेकर पहले से सतर्क है। कई देशों ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले नेटवर्क्स को खत्म करने का दबाव और कड़ा कर दिया है, जिससे उसकी कूटनीतिक स्थिति और चुनौतीपूर्ण हो गई है। विशेषज्ञों को यह भी आशंका है कि पाकिस्तान इस बाहरी हलचल के जरिए घरेलू समस्याओं और बढ़ते जनविरोध से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहा है।

विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि पाकिस्तान की यह आक्रामक कूटनीतिक सक्रियता क्षेत्रीय स्थिरता के लिए नई चुनौतियाँ खड़ी कर सकती है। हालांकि भारत सतर्क निगरानी बनाए हुए है और इस पूरे घटनाक्रम पर सुरक्षा और कूटनीतिक स्तर पर गहन नजर रखी जा रही है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि इस अभियान-शैली की कूटनीति पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया कैसी होती है।