Home news उत्तर प्रदेश:काकोरी के वीरों को नमन करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने...
काकोरी घटना की जयंती पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने दी शहीदों को श्रद्धांजलि दी, योगी आदित्यना बोले’देश की स्वाधीनता से बढ़कर कुछ भी नहीं’ वीरों को नमन करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में काकोरी शहीद स्मारक स्थल पर शहीदों के परिजनों को सम्मानित किया।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने काकोरी कांड की वर्षगांठ पर लखनऊ के काकोरी शहीद स्मारक स्थल पर पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी है। राज्यपाल ने कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है कि शहीदों के प्राणों का महत्व समझते हुए ऐसे कार्य करें, जिससे देश व देशवासियों को लाभ हो। देशवासियों में जोश भरने के उद्देश्य से काकोरी कांड की घटना को अंजाम दिया गया था।
सीएम योगी ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि काकोरी कांड की 97वीं वर्षगांठ पर मैं देश की स्वाधीनता के लिए स्वयं को बलिदान करने वाले अमर शहीदों को कोटि-कोटि नमन करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उन्होंने कहा कि हम सब जानते हैं कि ब्रिटिश हुकूमत ने हमारे देश वासियों पर कैसे अन्याय किया. काकोरी कांड में देश के सेनानियों ने 46 सौ रुपए लूटे थे। इन सेनानियों को पकड़ने के लिए उस समय हुकूमत ने 10 लाख रुपये खर्च किये। जिससे देश मे हलचल मच गई थी।इस घटना से अंग्रेजी शासन की नींव हिल गई थी।
काकोरी कांड ने ब्रिटिश हुकूमत की जड़ों को हिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। काकोरी शहीद स्मारक पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने कहा कि काकोरी कांड मां भारती की सेवा में सर्वस्व न्योछावर करने वाले महान क्रांतिकारियों के साहस का प्रतीक है। यहीं से देश के वीरों का इतिहास शुरू होता है। आजादी के अमृत महोत्सव और चौरा-चौरी शताब्दी महोत्सव की कड़ी में काकोरी कांड हमें याद दिलाती है कि यदि देश की आजादी को लेकर हमने कोई असावधानी बरती तो हमें इसी तरह की यातनाएं भुगतनी पड़ेंगी। उन्होंने कहा कि देश की स्वाधीनता से कोई समझौता नहीं होना है। देश के लिए भारत के हर नागरिक को एक साथ चलने की जरुरत है।
ऐसे हुआ था काकोरी कांड,
स्वोतंत्रता आंदोलन को तेज करने के लिए धन की जरूरत थी। इसके लिए क्रांतिकारियों ने शाहजहांपुर में एक मीटिंग की। इसमें राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने की योजना बनाई। इसके अनुसार राजेंद्रनाथ लाहिड़ी ने 9 अगस्त 1925 को लखनऊ के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी आठ डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर ट्रेन को चेन खींचकर रोका।
क्रांतिकारी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाकउल्ला खां, पं. चंद्रशेखर आजाद और अन्य सहयोगियों की मदद से ट्रेन पर धावा बोला। उन्होंिने सरकारी खजाना लूट लिया। इसे ही काकोरी कांड के नाम से जाना जाता है। अंग्रेजी हुकूमत ने हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के कुल 40 क्रांतिकारियों पर सम्राट के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने और मुसाफिरों की हत्या करने का केस चलाया। इसमें राजेंद्रनाथ लाहिड़ी, पं. राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई। इस केस में 16 अन्य क्रांतिकारियों को कम से कम 4 साल की सजा से लेकर अधिकतम कालापानी और आजीवन कारावास तक का दंड दिया गया।