उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद से राज्य की सियासत में तेजी से बदलाव आया है। विपक्ष के जिन दलों ने एकसाथ मिलकर चुनाव लड़ा था, अब वही एक-दूसरे के खिलाफ हैं। हम बात कर रहे हैं समाजवादी पार्टी और ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की।
इस वक्त दोनों पार्टियों के नेता एक-दूसरे पर जमकर निशाना साध रहे हैं। इस बीच ओम प्रकाश राजभर की नजदीकियां फिर से भाजपा से बढ़ने के संकेत हैं। राजभर खुले मंच से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ करने लगे हैं। सरकार ने भी उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध करा दी है। राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि एक बार फिर से दोनों पार्टियां साथ आ सकती हैं।
ओम प्रकाश राजभर की पार्टी को पहचान 2017 में मिली। तब भाजपा से गठबंधन करके ही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को चार सीटों पर जीत मिली थी। इसके बाद योगी आदित्यनाथ की सरकार में ओपी राजभर को कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया और उनके बेटे को भी राज्यमंत्री का दर्जा मिला। यहीं से ओपी राजभर को बड़ी पहचान मिली।
भाजपा के सूत्रों के अनुसार नेता सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को लेकर पार्टी के अंदर कई तरह के विचार हैं। चूंकि वह स्थिर नहीं हैं, इसलिए उनको लेकर कोई फैसला लेने से पहले काफी सोच-विचार करने की जरूरत है। अभी 2024 लोकसभा चुनाव में काफी समय है। ऐसे में फिलहाल इसपर फैसला लेना जल्दबाजी होगा।
जहां, एक तरफ ओपी राजभर की भाजपा से नजदीकियां बढ़ रहीं हैं तो दूसरी ओर सपा से तल्खी बढ़ रही है। राजभर की पार्टी में इस वक्त भगदड़ मची हुई है। पार्टी के 200 से ज्यादा नेता ओपी राजभर का साथ छोड़ चुके हैं। ज्यादातर ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है। यहां तक की ओपी राजभर के खिलाफ उनके ही इलाके में पोस्टर लग गया है। इस पोस्टर में लिखा है कि ओपी राजभर को राजभर बस्ती में जाना मना है। इससे ओपी राजभर और अधिक गुस्से में हैं। वह इसके लिए समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका आरोप है कि अखिलेश सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।