निर्जला एकादशी सबसे कठोर व्रत, जानें इसकी तिथि, नियम और क्या करें- क्या न करें

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हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है, लेकिन निर्जला एकादशी को इन सभी एकादशियों में सबसे श्रेष्ठ और कठिन माना गया है। इस वर्ष निर्जला एकादशी 10 जून 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी। यह व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है, और इसका पालन बिना अन्न और जल ग्रहण किए किया जाता है। यही कारण है कि इसे निर्जला यानी बिना जल के व्रत कहा जाता है।

क्या है निर्जला एकादशी का महत्व?

धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति सभी एकादशियों का व्रत नहीं कर पाता, वह यदि केवल निर्जला एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करता है, तो उसे साल भर की सभी 24 एकादशियों के बराबर फल प्राप्त होता है। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है, क्योंकि पौराणिक कथा के अनुसार महाबली भीमसेन ने केवल यही एक एकादशी का व्रत किया था।

एकादशी पर चावल क्यों नहीं खाए जाते?

एकादशी के दिन चावल या चावल से बनी चीजों का सेवन वर्जित है। धार्मिक मान्यता है कि एकादशी पर चावल खाना पाप के बराबर होता है और अगले जन्म में कीट-पतंग बनने का दोष लगता है। वैज्ञानिक रूप से भी कहा गया है कि इस दिन चावल की पाचन प्रक्रिया शरीर में अपच और आलस्य को बढ़ावा देती है।

निर्जला एकादशी पर क्या करें और क्या न करें?

क्या करें:

  1. व्रत का संकल्प लेकर जल तक न लें।
  2. भगवान विष्णु, लक्ष्मी माता और तुलसी की पूजा करें।
  3. रामनाम का जप, हनुमान चालीसा, विष्णु सहस्त्रनाम, राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें।
  4. गरीबों को अन्न, वस्त्र, जलदान करें।

क्या न करें:

  1. तुलसी को जल न चढ़ाएं और न छुएं – तुलसी माता स्वयं भी इस दिन उपवास रखती हैं।
  2. चावल और चावल से बनी वस्तुएं न खाएं।
  3. लहसुन, प्याज, मांसाहार, शराब और तामसिक भोजन से दूर रहें।
  4. बैंगन, मूली, मसूर की दाल, गोभी, सेम, शलजम जैसी जड़ वाली सब्जियों का सेवन न करें।
  5. नमक का सेवन वर्जित है, इससे व्रत का पुण्य फल नष्ट होता है।
  6. बाल न कटवाएं, लकड़ी की दातुन न करें — नींबू, आम या जामुन की पत्तियों से कुल्ला करें।
  7. पान न खाएं, यह रजोगुण बढ़ाता है।
  8. झाड़ू-पोछा न लगाएं, इससे सूक्ष्म जीवों की हत्या हो सकती है।
  9. व्रत की रात ब्रह्मचर्य का पालन करें, और रात जागरण कर भगवान विष्णु की पूजा करें।

निर्जला एकादशी केवल उपवास नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और आत्मनियंत्रण का पर्व है। यह दिन हमें संयम, आस्था और आत्मबल का पाठ पढ़ाता है। जो भी श्रद्धालु इस दिन विधिपूर्वक व्रत करता है, उसे न केवल पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी खुलता है।