आधार को लेकर सुप्रमीम कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाया, मोबाइल सिम और बैंक अकांउट में आधार अनिवार्य नहीं

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काफी लंबे समय से आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बहस चल रही थी। जिसके बाद आज यानि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ अपना फैसल सुनाया है। कोर्ट ने आधार को संवैधानिक रुप से वैध माना है, लेकिन कुछ मामलों में आधार कार्ड की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है।

कहां-कहां आधार जरुरी नहीं

पिछले कुछ महिनों से मोबाइल कंपनी, स्कूल, पेटीएम जैसे प्राइवेट कंपनियां, बैंक, यूजीसी, नीट, सीबीएसई ने आधार को अनिवार्य कर दिया था। जिसके बाद आज कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि इन सभी जगहों पर आधार की अनिवार्यता खत्म की जाती है।  साथ ही कोर्ट ने कहा कि मोबाइल नंबरों और बैंक खातों से जोड़ना आधार कार्ड होना गैर संवैधानिक है।

कहां-कहां आधार जरुरी है

वहीं कोर्ट ने  पैन, आयकर रिटर्न, सरकार की लाभकारी योजना और  सब्सिडी पर आधार को अनिवार्य रखा है। साथ ही जस्टिस एके सीकरी ने अपना फैसला पढ़ा, उन्होंने अपने अलावा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस एम खानविलकर की तरफ से फैसला पढ़ा।  उन्होंने अपने फैसले में कहा है कि आधार कार्ड आम आदमी की पहचान है, इस पर हमला संविधान के खिलाफ है। फैसला पढ़ते हुए जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि ये जरूरी नहीं है कि हर चीज बेस्ट हो, कुछ अलग भी होना चाहिए।

आधार कार्ड पिछले कुछ साल में चर्चा का विषय बना है। जज ने कहा कि आधार कार्ड गरीबों की ताकत का जरिया बना है, इसमें डुप्लीकेसी की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड पर हमला करना संविधान पर हमला करने के समान है। जस्टिस सीकरी ने कहा कि शिक्षा हमें अंगूठे से हस्ताक्षर की तरफ ले गई, लेकिन एक बार फिर तकनीक हमें अंगूठे की ओर ले जा रही है।

जस्टिस सीकरी बोले कि आधार बनाने के लिए जो भी डेटा लिया जा रहा है वो काफी कम है, उसके मुकाबले जो इससे फायदा मिलता है वो काफी ज्यादा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 6 से 14 साल के बच्चों का स्कूल में एडमिशन करवाने के लिए आधार कार्ड जरूरी नहीं है। उन्होंने कहा कि आधार ना होने की स्थिति में किसी व्यक्ति को अपने अधिकार लेने से नहीं रोका जा सकता।

जस्टिस एके सीकरी के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपना फैसला पढ़ा. उन्होंने कहा कि आधार एक्ट को किसी मनी बिल के तौर पर नहीं पास किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार अवैध प्रवासियों को आधार कार्ड ना दें। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आधार कार्ड निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है, इससे आदमी और वोटर्स की प्रोफाइलिंग हो सकती है.

आपको बता दें कि इस मामले की सुनवाई 17 जनवरी को शुरू हुई थी जो 38 दिनों तक चली. आधार से किसी की निजता का उल्लंघन होता है या नहीं, इसकी अनिवार्यता और वैधता के मुद्दे पर 5 जजों की संवैधानिक पीठ अपना फैसला सुना रही है। हालांकि, आधार पर सुनवाई की शुरूआत 2012 में हुई थी, जब सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका के आधार पर इस मामले को सुना था।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण की 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि जब तक मामले में कोई फैसला नहीं आ जाता तब तक आधार लिंक करने का ऑप्शन खुला रहना चाहिए। इसके अलावा सख्त रुख अपनाते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सरकार आधार को अनिवार्य करने के लिए लोगों पर दबाव नहीं बना सकती है।