राहुल का Vision, कोरोना से भारत में महाविनाश

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कोरोना “आपदा” में राहुल का राजनीतिक “अवसर”

एक ओर कोरोना महामारी की दूसरी लहर फैली, तो दूसरी ओर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राहुल को Visionary बताना शुरु कर दिया, Visionary इसलिए नहीं कि उन्होंने कांग्रेस शासित राज्यों में कोरोना की रोकथाम के कोई इंतजाम करवाए हों, बल्कि इसलिए क्योंकि राहुल गांधी ने चेतावनी दी थी कि 2021 में कोरोना की महामारी वाली सुनामी आएगी ।

आखिर महामारी रोकने की बजाए, कोई कांग्रेस का राष्ट्रीय राजनेता, उसके फैलने की सटीक भविष्यवाणी कैसे और क्यों कर सकता है ?

इसके आंकलन के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के 15 अप्रैल के संदेश पर गौर करते हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने बताया कि कोरोना की लहर नवंबर में आई और ये भी एक संयोग ही है कि नवंबर में ही कांग्रेस समर्थक किसान नेता अपने लाव लश्कर के साथ दिल्ली आए। ये पंजाब के वही किसान यूनियनों के नेता थे जो साल दर साल चुनावों में कांग्रेस का समर्थन करते आए हैं।

ये वही किसान नेता थे जिन्हें आंदोलन और बायकॉट के लिए, किसी और ने नहीं, बल्कि स्वयं कांग्रेस के युवराज ने पंजाब-हरियाणा में ट्रैक्टर रैलियां करके जागृत किया।

कांग्रेस के समर्थन से पैदा हुए इस आंदोलन में आए लोगों ने पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और यूपी में ना सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाईं, बल्कि मास्क और सेनेटाइजर का भी बहिष्कार सा करते दिखे। 26 जनवरी को दिल्ली में हिंसा भी हुई और बावजूद इसके कांग्रेस का समर्थन टस से मस नहीं हुआ।

पूरी दुनिया कोरोना वायरस के खेल में दोबारा फंसती जा रही थी, लेकिन जिस प्रकार से कांग्रेस नेताओं और स्वयं राहुल गांधी जैसे नेताओं ने किसानों के नाम पर ताबड़तोड़ रैलियां हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में कीं उनमें भीड़ को बुलाया गया, ना कि सोशल डिस्टेंसिंग को।

कांग्रेसी खुद ही गा रहे हैं कि आंदोलनकारियों के लिए खाने-पीने से लेकर तमाम सुविधाएं भी वही जुटा रहे हैं। इससे एक सवाल तो पैदा होता है कि क्या राजनीतिक लाभ के चक्कर में राहुल गांधी और कांग्रेस में उनके समर्थकों ने महामारी को लेकर जानबूझकर भारी लापरवाही बरती ? जिसका परिणाम यही होना था कि कोरोना महामारी विकराल रूप ले ले।

राहुल को Visionary बताने वाले कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को युवराज से ये भी सवाल पूछना चाहिए कि कांग्रेस की रैलियों, किसान आंदोलनकारी नेताओं और आंदोलनजीवियों को सोशल डिस्टेंसिंग और महामारी के प्रति उन्होंने कब, किस रैली में सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क, सेनेटाइजर और वेक्सिनेशन जैसी बातों के लिए जोर दिया?

Visionary ऱाहुल गांधी ने मार्च में ही ये तो भविष्यवाणी कर दी कि महामारी फैलेगी, लेकिन क्या उन्होंने किसान आंदोलनकारियों की जिंदगी से प्रेम नहीं था, जो उन्हें घर जाने की सलाह नहीं दी?

हरियाणा के गुरनाम सिंह चढ़ूनी जैसे आंदोलनकारी नेताओं ने ऐसे बयान दिए कि आंदोलन से जुड़े लोगों को कोरोना महामारी के होने, ना होने पर ही शंका पैदा हो जाए। चढ़ूनी ने एक बार नहीं, कई बार दावे किए कि कोरोना कोई बीमारी नहीं है, बल्कि उसके नाम पर ऐसी दवा लगाई जा रही है कि इंसान बीजेपी का ही बटन दबाएगा।

राजनीति के लिए दवा का भी बायकॉट

गुरनाम सिंह चढ़ूनी ही नहीं, तमाम आंदोलनकारी नेताओं के बयानों में एक बात स्पष्ट झलकती है कि दवा के बायकॉट को भी राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। जाहिर है कि आंदोलनकारी नेताओं का पूरा ध्यान बीजेपी से जनता का मोहभंग कर, कांग्रेस के हाथ के साथ जोड़ने की ओर ही रहा। लेकिन सवाल ये है कि आखिर कांग्रेस जिस देश में राजनीति कर सत्ता में आना चाहती है, वहां की जनता में कोरोनावायरस के प्रति अफवाह फैलाने वाले आंदोलनकारियों का समर्थन क्यों करती रही?

किसानों को जागरुक करने की जिम्मेदारी नहीं ?

राहुल गांधी ने 17 मार्च को धमकी दी थी कि मोदी सरकार के राज में देश महामारी की सुनामी में फंसने वाला और उनके शब्दों में कॉन्फिडेंस जबदस्त था, ऐसे में सवाल फिर वही आता है कि जब राहुल गांधी जानते थे कि कोरोना का दूसरा फेज़ सुनामी की तरह घातक साबित होने वाला है तो उन्होंने किसानों की जान बचाने के लिए क्या किया ? उन्होंने आंदोलन में बैठी भीड़ की जिंदगी बचाने के लिए क्या किया ? राहुल गांधी से सवाल ये भी बनता है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने भी महामारी का खतरा भांप बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को आंदोलन स्थल से लौटने को कहा तो कांग्रेस ने ये जान बचाने वाली बात किसान आंदोलनकारियों को क्यों नहीं समझाई?

ये सवाल हर कांग्रेस कार्यकर्ता को भी खुद से पूछना चाहिए कि राहुल गांधी जैसे वीजनरी लीडर को जब पता था कि कोरोना का फेज़ 2 महाघातक साबित होने वाला है तो कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की जान बचाने के लिए राहुल गांधी ने क्या कदम उठाए ?

Visionary leader का अर्थ ये नहीं है कि जो विनाश की भविष्यवाणी कर सके, सच्चा visionary लीडर वो है, जो विनाश को आते देख, अपना हित छोड़, जनता की जान बचाने का प्रयास करे।